GA4-314340326 Jharkhand Panchayat Election-2022 : बेड़ो की महिला उम्मीदवारों की बात पर आप मुस्कुराएंगे, पर उनका जज्बा पुरुषों से कम नहीं...

Jharkhand Panchayat Election-2022 : बेड़ो की महिला उम्मीदवारों की बात पर आप मुस्कुराएंगे, पर उनका जज्बा पुरुषों से कम नहीं...

Jharkhand Panchayat Election-2022 : झारखंड में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 56.78 प्रतिशत पदों पर चुनाव लड़ रहीं महिलाओं का जज्बा देखने लायक है। महिला उम्मीदवारों के मन की बात जानने के लिए नवभास्कर की टीम ने बेड़ो प्रखंड (Bero Block) में, जहां 19 मई को मतदान है, वहां की महिला उम्मीदवारों से बात की। हमने यह जानने का प्रयास किया कि गांव की सरकार को लेकर उनका क्या सपना है।    

NBR/ Ranchi

झारखंड में महिलाओं को सामाजिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से सरकार ने इस बार के पंचायत चुनाव में उन्हें 56.78 प्रतिशत आरक्षण दिया है। यह पुरुषों के मुकाबले 13.56 प्रतिशत अधिक है। यह सरकार का बहुत बड़ा और क्रांतिकारी कदम है। इसके दूरगामी परिणाम होंगे। आपको बता दें कि इस बार राज्य की कुल 4,345 पंचायतों में कुल 63,701 पदों के लिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो रहा है। इनमें सबसे अधिक 21,283 पद अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए 7,216 पद आरक्षित है। जबकि, अन्य पिछड़ी जाति (OBC) के उम्मीदवारों को इस बार कोई आरक्षण नहीं मिला है। इस तरह कुल 33,788 पदों पर सामान्य या OBC के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

घर-परिवार के साथ-साथ गांव-समाज की भी जिम्मेदारी उठा रहीं महिलाएं

लेकिन, हमारा उद्देश्य आपको पंचायत चुनाव में आरक्षण का गणित समझाना नहीं है। हम तो आपको यह बताना और समझाना चाह रहे हैं कि महिलाओं को मिले आरक्षण का महिलाएं पूरा लाभ उठा रही हैं। चुनाव लड़ने और समाज के लिए कुछ करने का जज्बा उनके चेहरे पर स्पष्ट रूप से झलक रहा है। नवभास्कर डॉट कॉम (Novbhaskar.com) की टीम रविवार को रांची जिले के बेड़ो प्रखंड (Bero Block) मुख्यालय पहुंची और पंचायत चुनाव लड़ रहीं पांच महिला उम्मीदवारों से बात की। इनमें से तीन मुखिया पद की उम्मीदवार हैं, जबकि एक पंचायत समिति सदस्य और दूसरी जिला परिषद सदस्य पद के लिए चुनाव मैदान में उतरी हैं। हमने उनसे यह जानने की कोशिश की कि घर की चौखट लांघकर वह कैसे पुरुषों के वर्चस्व वाली गांव की चौपाल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगी। क्योंकि, चुनाव जीतने बाद उन्हें अपने घर-परिवार के साथ-साथ गांव-समाज की भी जिम्मेदारी उठानी होगी। उन्हें भी समय देना होगा और वह भी अपने परिवार से ज्यादा। इन सब मुद्दों पर हमने महिला उम्मीदवारों से बात की। आइए, हम आपको एक-एक करके पांचों महिला उम्मीदवारों के बारे में बताते हैं और उनकी रोचक बातें भी सुनाते हैं।

  ये हैं- मुखिया पद की प्रत्याशी

 उर्मिला देवी (Urmila Devi), जरिया पंचायत (Jariya panchayat)     

मेरे पति घर में खाना पकाते हैं और बर्तन भी मांजते हैं…


उर्मिला देवी स्पष्टवादी महिला हैं। वह जरिया पंचायत से लगातार दो बार मुखिया रही हैं, तीसरी बार चुनाव मैदान में खड़ी हैं। सामान्य परिवार से आनेवाली उर्मिला से जब हमने पूछा कि आप घर-पंचायत के कामों में कैसे सामंजस्य बैठाती हैं, क्या पति और परिवार का साथ आपको मिलता है। इस पर वह हंसकर कहती हैं कि मेरे पति तो जरूरत पड़ने पर घर में मेरे लिए खाना भी पकाते हैं और बर्तन भी मांजते हैं। मुझे पंचायत का काम करने के लिए हमेशा मेरी सासू मां, मेरे पति व मेरे बच्चों का साथ मिलता है। वे मुझे प्रत्साहित करते रहते हैं। उन्हें मलाल है कि कोरोना ने इस बार उन्हें दो साल तक विकास काम नहीं करने दिया। जब हमने उनसे पूछा कि महिला होने कारण पंचायत के काम में कभी कोई परेशानी भी आती है क्या, इस पर उन्होंने एक लाइन में कहा, नहीं। मुझे तो महिला होने पर गर्व होता है। 

सुशांति भगत (Sushanti Bhagat), बेड़ो पंचायत (Bero Panchayat)

पति काम में मदद करते हैं, पर निर्णय मैं खुद लेती हूं…


सुशांति भगत बेड़ो पंचायत से दूसरी बार मुखिया पद के लिए चुनाव मैदान में हैं। गांव की सरकार में वर्ष 2010 में पहली बार वह बतौर वार्ड सदस्य चुनकर आई थीं। इससे पहले उनके परिवार का कोई सदस्य राजनीति में नहीं था। अपने गांव के विकास का सपना लेकर वह राजनीति में आईं। इनकी शिक्षा बेड़ो कॉलेज से इंटर तक हुई है। सुशांति कहती हैं कि जब मैं कॉलेज में थी, तब से ही मेरे मन में था कि मैं अपने गांव के लिए कुछ करूं। इनसे भी हमने पूछा कि आप घर-परिवार के साथ-साथ पंचायत को कितना समय दे पाती हैं। इस पर उन्होंने कहा कि मुझे मेरी सास, देवर-देवरानी व पति का पूरा साथ मिलता है। यदि इन लोगों का सहयोग न मिले तो मैं कुछ नहीं कर पाऊंगी। मुखिया पति की भूमिका के सवाल पर वह कहती हैं कि मेरे साथ ऐसा नहीं है। मेरे पति कभी मुझे कोई सलाह भी देते हैं, तो मैं वही करती हूं, जो पंचायत के लोगों के हित में होता है। 

रश्मि खोया (Rashmi Khoya), जामटोली पंचायत (Jamtoli Panchayat)

मैं अपने पति से ज्यादा काम करूंगी…


जामटोली पंचायत के निवर्तमान मुखिया सुनील कच्छप इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनकी पत्नी रश्मि खोया इस बार उनकी जगह चुनाव मैदान में हैं। जब हम बेड़ो पहुंचे उस वक्त रश्मि अपने चुनाव प्रचार में लगी हुई थीं। वह अपने प्रचार से समय निकाल कर अपने पति सुनील कच्छप के साथ हमसे मिलने आईं। इनसे भी हमने पूछा जीतने के बाद इनकी प्राथिमकताएं क्या होंगी। रश्मि ने हमें बताया कि जीतने के बाद विकास का तो काम करेंगी ही, पति के अधूरे कार्यों को पूरा करेंगी। साथ ही, पति से ज्यादा काम करूंगी और काम के मामले में एक नया रिकॉर्ड बनाऊंगी। चुनाव प्रचार में परिवार का साथ मिलने के सवाल पर कहती हैं कि पूरा परिवार मेरे प्रचार में लगा हुआ है। पति सुनील कच्छप के अलावा मेरी सास भी मेरे प्रचार में जुटी हुई हैं।

 यह हैं -जिला परिषद सदस्य पद की प्रत्याशी

अंजली कच्छप (Anjali kachhap), बेड़ो पूरब (Bero North)

महिलाओं को हर क्षेत्र में फ्रंट लाइन में रहना चाहिए…


अंजली पहली बार चुनाव मैदान में उतरी हैं। अंजली युवा हैं और अभी रांची विश्वविद्यालय (Ranchi University) में पीजी लास्ट ईयर की छात्रा हैं। जरिया गांव की रहनेवाली हैं। छात्र संगठन (Students Union) और सामाजिक कार्यों (Social Work) में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। ये अपने क्षेत्र के विकास का सपना लेकर चुनाव मैदान में आई हैं। अंजली से जब हमने सवाल किया कि मुखिया छोड़कर जिला परिषद सदस्य के लिए ही वह क्यों चुनाव में उतरीं, इस पर उनका कहना था कि भले ही जिला परिषद सदस्य के पास मुखिया की तरह पावर और फंड नहीं होता है, पर उसके पास प्रशासनिक पावर होता है। वह जिला परिषद का सदस्य बनने के बाद अपने क्षेत्र को विकास के मामले में जिले में अलग पहचान दिलाने का प्रयास करेंगी। अंजली महिलाओं को हर क्षेत्र में फ्रंट लाइन में देखना चाहती हैं।  

ये हैं - पंचायत समिति सदस्य पद की प्रत्याशी

अन्नपूर्णा राय (Annapurna Roy), बेड़ो (‌Bero)

क्षेत्र के विकास के लिए लगातार प्रयासरत रहूंगी…


अन्नपूर्णा का परिवार समाज व राजनीति में पहले से रुतबा रखता है। इसलिए, इनका जिक्र आया, तो इनके परिवार का परिचय बताना भी जरूरी है। इनके पति धनंजय कुमार राय वर्तमान में बेड़ो प्रखंड के उप प्रमुख हैं। जबकि, ससुर क्षितिज कुमार राय नागपुरी भाषा के जाने-माने साहित्यकार व कलाकार हैं। राज्य के विश्वविद्यालयों में उनकी लिखी पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं। क्षितिज कुमार राय को नागपुरी का कविरत्न कहा जाता है। नागपुरी भाषा के विकास के लिए वे वर्षों से काम कर रहे हैं। इनके नेतृत्व में काम करनेवाली नागपुरी कला संगम (Nagpuri Kala Sangam) राज्य की प्रतिष्ठित संस्था है। अन्नपूर्णा से जब हमने सवाल किया कि वह एक गृहिणी हैं, अब चुनाव जीतने के बाद उन पर अपने क्षेत्र के विकास की भी जिम्मेदारी आ जाएगी। उसके बाद वह दोनों के बीच कैसे सामंजस्य बनाएंगी, इस पर उन्होंने सापगोई से कहा कि चूंकि, इस बार हमारा क्षेत्र महिला आरक्षित हो गया है, इसलिए मैं चुनाव में उतरी हूं। शुरू में अपने पति की मदद लूंगी, उनके अनुभव का लाभ मुझे मिलेगा। विकास के लिए लगातार प्रयासरत रहूंगी। अन्नपूर्णा अपने पति के किए विकास कार्यों के आधार पर जनता से वोट मांग रही हैं। लेकिन, महिला सशक्तीकरण और क्षेत्र के विकास सपना इनके आंखों में साफ दिख रहा है।  

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