सेना की ओर से जारी बयान के कुछ अंश। |
रक्षा मंत्रालय ने कहा, सोशल मीडिया को डुमरी फील्ड को गलत दिखाकर किया जा रहा बदनाम
Namkum (Ranchi): भारतीय सेना ने बिहार में गुलेरबेद गांव के पास 8 मार्च को होली के दिन हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना में मारे गए और घायल हुए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। साथ ही, कहा है कि इस घटना को लेकर सोशल मीडिया में कुछ स्वार्थी वर्गों द्वारा अफवाह फैलाया जा है। कहा जा रहा है कि यह घटना सेना की मोर्टार फायरिंग के कारण हुई है, जो बिल्कुल गलत और झूठी है। मिनिस्ट्री ऑफ डिफेन्स प्रयागराज, प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो डिफेन्स विंग (Ministry of Defense Prayagraj, Press Information Bureau Defense Wing) के PRO समीर गंगाखेड़कर ने प्रेस रिलिज जारी कहा है कि 8 मार्च को देउरी डुमरी फील्ड फायरिंग रेंज में सेना की ओर से मोर्टार फायरिंग नहीं की गई थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि इस अधिसूचित फायरिंग रेंज में फायरिंग से पहले स्थानीय नागरिक प्रशासन और पुलिस से मंजूरी ली जाती है। 8 मार्च को मोर्टार फायरिंग नहीं की गई, इसलिए स्थानीय प्रशासन या पुलिस से कोई मंजूरी नहीं मांगी गई थी।
सेना घटना की जांच में प्रशासन की मदद करेगी
उन्होंने कहा है कि भारतीय सेना इसकी जांच के लिए जिला प्रशासन को हर संभव मदद करेगी। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना, एक बार फिर फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश से उत्पन्न खतरों को उजागर करती है, और बिक्री हेतु क्षेत्र से गैर कानूनी तरीके से ब्लाइंड एवं खंडित बम इकठ्ठा करने के खतरनाक अभ्यास का परिणाम है। भारतीय सेना अनुरोध करती है कि स्क्रैप धातु के गैर कानूनी संग्रह और उसकी बिक्री की इस खतरनाक प्रथा से बचना चाहिए। भारतीय सेना के सभी पद अपने कार्य सामर्थ्यता आचरण में दृढ़ हैं और दिवंगत आत्माओं के प्रति गहरी समानुभूति व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि देउरी डुमरी फील्ड फायरिंग रेंज में मोर्टार फायरिंग नहीं की गई थी और त्रासदी के कारणों की जांच के लिए पूर्ण समर्थन और सहयोग प्रदान किया जाएगा। भारतीय सेना के सभी पद बाराचट्टी पुलिस स्टेशन, जिला गया।
Mortar firing did not happen at Deuri Dumri field firing range: Army
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