GA4-314340326 रांची में एसटी स्टूडेंट्स के लिए बनेगा मल्टीस्टोरी हॉस्टल, सीएम ने की घोषणा

रांची में एसटी स्टूडेंट्स के लिए बनेगा मल्टीस्टोरी हॉस्टल, सीएम ने की घोषणा

सरहुल महोत्सव को संबोधित करते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन।
Ranchi (Jharkhand): राजधानी में शुक्रवार को प्रकृति पर्व सरहुल धूमधाम से मनाया गय। सरना स्थलों में पूरे विधि -विधान से "प्रकृति" की पूजा अर्चना की गई। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन आदिवासी छात्रावास,  करमटोली में सरहुल महोत्सव में शामिल हुए। पूजा- अर्चना के बाद मांदर बजाकर उन्होंने लोगों के साथ खुशियां बांटी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने छात्रावासों में अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। छात्रावासों के जीर्णोद्धार का कार्य भी शुरू हो चुका है। इस कड़ी में आदिवासी छात्रावास को भी नया रूप देने की कार्य योजना बन चुकी है। यहां  बच्चे और बच्चियों के लिए अलग-अलग मल्टी स्टोरी छात्रावास बनेगा,  जहां पढ़ाई करने वाले 500 लड़के और 500 लड़कियों के रहने की मुकम्मल व्यवस्था होगी । उन्होंने रांची वीमेंस कॉलेज के साइंस और आर्ट्स ब्लॉक के जीर्णोद्धार करने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने कहा कि सरना और मसना स्थल आदिवासियों की आस्था से जुड़ा है। इसे संरक्षित रखने की दिशा में सरकार कार्य कर रही है। 

जल-जंगल-जमीन है, तभी हमारा वजूद है

 उधर, सिरमटोली सरना समिति द्वारा आयोजित सरहुल महोत्सव में सीएम ने कहा कि जल-जंगल-जमीन है, तभी हमारा वजूद है । अगर हम प्रकृति को संरक्षित नहीं कर पाए तो आने वाली पीढ़ी को कई बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में प्रकृति के साथ  छेड़छाड़ को रोकने के लिए हम सभी को आगे आना होगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने सरना स्थल में पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना कर राज्य वासियों के सुख- समृद्धि, उन्नति और खुशहाली की कामना की।

वर्षों से चली आ रही प्रकृति पूजा की परंपरा

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरहुल का त्यौहार एक ओर हमें प्रकृति से जोड़ता है तो दूसरी तरफ अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति का सुखद अहसास कराता है। यही वजह है कि आदिवासी समाज वर्षों से प्रकृति पूजा की परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं।  

जरूरतों और चुनौतियों के बीच संतुलन बनाना होगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में हमारी जरूरतें जिस तेजी से बढ़ रही है, उसी हिसाब से चुनौतियां भी सामने आ रही है। इसका सीधा असर हमारी प्राकृतिक व्यवस्था व्यवस्था पर पढ़ रहा है । अगर अपनी जरूरतों और चुनौतियों के बीच संतुलन नहीं बना पाए तो इसका खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा । ऐसे में जरूरत है कि प्रकृति की गोद से जो हम हासिल कर रहे हैं, उसे पूरा लौटाना तो नामुमकिन है, लेकिन पेड़ लगाकर और पेड़ बचाकर हम प्रकृति के प्रति कुछ तो अपना योगदान कर सकते हैं।  मुख्यमंत्री ने जंगल के साथ नदी- नाले और पहाड़ों को बचाने के लिए भी लोगों से आगे आने को कहा।

Multistorey hostel will be built for ST students in Ranchi, CM announced

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