GA4-314340326 सड़क पर कराहते रहे घायल रांची पुलिस पहुंचकर भी मूकदर्शक बनी रही, दो की मौत, देखिए वीडियो

सड़क पर कराहते रहे घायल रांची पुलिस पहुंचकर भी मूकदर्शक बनी रही, दो की मौत, देखिए वीडियो

 

हंगामे के बाद लोगों की मदद से घायलों को उठात पुलिसकर्मी।
Ranchi (Jharkhand): झारखंड पुलिस का संकल्प मंत्र है 'सेवा ही लक्ष्य'। आप झारखंड पुलिस के किसी अफसर या जवान को फोन करेंगे, तो काफी मधुर आवाज में आपको उसका कॉलर ट्यून सुनने को मिलेगा 'सेवा ही लक्ष्य है हमारा, सेवा ही लक्ष्य है, हम हैं, हम हैं झारखंड पुलिस....' यह सुनने में बहुत आकर्षक और भरोसा करने लायक लगता है। लेकिन, कुछ पुलिसवालों के कारण हम इस पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। क्योंकि, रामनवमी की देर रात (गुरुवार, 30 मार्च) करीब साढ़े 12 बजे राजधानी रांची के लालपुर थाना क्षेत्र में डिस्टिलरी पुल के पास हुई सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल चार लोग, चारों खून से लथपथ बीच सड़क पर पड़े कराह रहे थे, लेकिन लालपुर थाने की पुलिस और पीसीआर वैन पहुंच कर भी घायलों को अस्पताल पहुंचाने के बजाय तमाशबीन बने हुए थे। मानो उन्हें इस बात का डर लग रहा हो कि खून से लथपथ घायलों को उठाएंगे, तो उनके खून के धब्बे से वर्दी पर दाग लग जाएगा। इसी बीच अपनी इनोवा कार से वहां से गुजर रहे दो-तीन युवक फरिश्ते की तरह कार से उतरे और घायलों को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करने में जुट गए, इस दौरान पुलिस वालों से उनकी बहस भी हुई। लेकिन, वे दो लोगों की जान नहीं बचा सके।

कैसे हुई दुर्घटना

रात करीब साढ़े 12 बजे होटलकर्मी मनोज निर्मल तिग्गा अपनी एक महिला सहकर्मी को स्कूटी पर बैठाकर लालपुर चौक की ओर से कोकर की ओर अपने घर लौट रहा था, कोकर की ओर से झारखंड पुलिस का जवान कमलनयन तिवारी yamha R-15 बाइक पर अपने एक दोस्त को बैठाकर काफी तेज रफ्तार में लालपुर की ओर जा रहा था, डिस्टलरी पुल पार करते ही सामने से आ रही स्कूटी से उसकी जोरदार टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि दोनों गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए। चारों सवार सड़क पर इधर-उधर फेंका गये थे। उन्हें गंभीर चोटें लगी थीं। निर्मल और तिवारी खून से लथपथ थे। वहां से गुजर रहे किसी व्यक्ति ने लालपुर थाने को सूचना दी, पुलिस तुरंत पहुंच गई, लेकिन वह घायलों को अस्पताल पहुंचाने के बजाय दर्शक बन गई। लोग एंबुलेंस बुलाने के लिए 108 नंबर पर कॉल करने लगे, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। इसी बीच वहां से गुजर रहे तीन युवक अपनी कार रोककर उतरे और घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए पीसीआर और पुलिस की टीम को बोले, तो एक पुलिस वाले ने कहा, हमारी गाड़ी का पिछला दरवाजा नहीं खुलता है। युवकों ने जब पुलिस वालों से घायलों को उठाने में मदद मांगी तो वे अनसुना करने लगे, इस पर एक युवक भड़क गया और पुलिस वालों से उसकी काफी तीखी बहस हो गई। उसके बाद वह खुद घायलों को उठाने लगा, यह देखकर पुलिसवाले भी आगे बढ़े और घायलों को उठाकर रिम्स ले गए। लेकिन, तबतक काफी देर हो गया था। काफी खून बह जाने के कारण निर्मल और तिवारी की मौत हो गई, बाकी दो घायल रिम्स में भर्ती हैं। 

ऐसे ही गाड़ी पर पुलिस और प्रेस लिखवाकर घूमता है सब...

दुर्घटना स्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों को युवकों ने जब बताया कि बाइक पर पुलिस लिखा हुआ है, शायद घायल युवक पुलिस में काम करता है, इतना सुनते ही एक पुलिसकर्मी ने कहा, आजकल ऐसे ही गाड़ी पर पुलिस और प्रेस लिखवाकर घूमता है सब। पुलिसकर्मियों की लापरवाही का अंदाजा उनकी भाषा से ही लगाया जा सकता है।

ऊ खतम हो गया है...

घायल मनोज निर्मल तिग्गा बीच सड़क पर बेहोश पड़ा था। उसके शरीर में कोई हलचल नहीं थी। सिर से काफी खून बहने के कारण सड़क की मिट्टी खून से सन गई थी। यह देखकर एक युवक पुलिसकर्मियों पर चिल्लाने लगा, तभी एक पुलिसकर्मी की आवाज आई ऊ खतम हो गया है... यह सुनते ही युवक फिर भड़क गया। पुलिसकर्मियों पर चिल्लाने लगा... कौन बोला, कौन बोला ऐसा... मैं खुद नब्ज देखा हूं। नब्ज अभी चल रहा है।  

क्या नाम है तुम्हारा, करेगा हल्ला...

पुलिसवाले अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं करते हैं। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के बजाय पुलिसवाले उस युवक से ही उलझ गए, जो घायलों को उठाने में तत्परता दिखा रहा था और पुलिसवालों को उनका कर्तव्य समझा रहा था। लालपुर थाने का एक दारोगा उसकी ओर बढ़ा और बोला- क्या नाम है तुम्हारा? क्यों चिल्ला रहो हो? इस पर उस युवक ने कहा मेरा आदित्य है और मेरे घर में भी लोग पुलिस में हैं। पुलिस की लापरवाही से ये लोग अभी तक सड़क पर पड़े हुए हैं...

 


Injured kept moaning on the road, Ranchi police remained mute spectator even after reaching, two died/ Ranchi / Jharkhand 






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