रिनपास में प्रदर्शन करतीं स्टॉफ नर्स। |
KANKE (RANCHI)। रिनपास में शुक्रवार को संविदा पर कार्यरत स्टाफ नर्सों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। उनकी मांगों में सेवा को स्थाई करना, मानदेय को बढ़ा कर 35,400 रुपए करना, मानदेय का नियमित भुगतान आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि ढाई से तीन साल पहले 54 स्टॉफ नर्सों को नियुक्त किया गया था। नर्सों ने आरोप लगाया कि 18 हजार की जगह कम मानदेय दिया जा रहा है। ईपीएफ तथा ईएसआईसी की राशि की कटौती समुचित ढंग से नहीं हो रही है। कहा कि अपनी समस्याओं को लेकर वे जब भी वे निदेशक तथा पदाधिकारियों के पास जाती हैं, तो उनको नौकरी से हटाने की बात कही जाती है।
आज होना है इंटरव्यू
नर्सों ने बताया कि शनिवार को संस्थान में 11 रिटायर्ड नर्सों को इंटरव्यू के आधार पर नियुक्त किया जाएगा। उनको 35400 रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा। स्टॉफ नर्सों ने कहा कि उनको भी उतनी ही राशि दी जाए।
डायरेक्टर ने पंचायत प्रतिनिधियों से मिलने से किया इनकार
नर्सों की मांगों के संबंध में उप प्रमुख अजय बैठा तथा रांची जिला युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष जमील अख्तर डायरेक्टर से वार्ता करने गए थे। लेकिन डॉ जयती सिमलाई ने उनको परमिशन लेकर आने का संदेश गार्ड्स से भिजवा दिया। उप प्रमुख अजय बैठा तथा जमील अख्तर ने कहा कि यह पंचायत प्रतिनिधियों का अपमान है। कहा कि डायरेक्टर से मिलने के लिए उनकी जगह किससे अनुमति लेनी पड़ेगी। उनके रवैए को तानाशाही पूर्ण बताया।
बचे हैं 200 से भी कम परमानेंट स्टॉफ
रिनपास में लगभग 180 परमानेंट स्टॉफ ही बचे हैं। वर्ष 2004 के बाद से एक भी नियुक्ति नहीं हुई है। यहां लगभग 550 कर्मियों के पद स्वीकृत है। सुप्रीम कोर्ट ने रिनपास को ऑटोनॉमस इंस्टीट्यूट बनाते हुए ग्रुप ए, बी और सी की नियुक्तियों का पूर्ण अधिकार दिया है। किंतु संस्थान की स्वायत्तता पर स्वास्थ्य विभाग के अफसर कुंडली मारकर बैठ गए हैं। हालत ऐसी है की संस्थान में इलाजरत 500 मरीजों की देखभाल के लिए पर्याप्त संख्या में मनोचिकित्सक, नर्सेज, वार्डर, सफाई कर्मी आदि भी नहीं रह गए हैं। सबकुछ आउटसोर्सिंग एजेंसी द्वारा रखे गए सफाई कर्मी और सुरक्षा कर्मियों के भरोसे चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग रिनपास द्वारा बनाकर भेजे गए नियुक्ति नियमावली को भी अपनी मंजूरी नहीं दे रहा है। यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई स्वायत्तता का पूरी तरह से हनन है।
जिसे अक्षम बताया, उसको दिया डायरेक्टर का प्रभार
स्वायत्तता देते समय रिनपास के प्रबंधन के लिए प्रबंध कारिणी समिति का गठन माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा किया गया था। इसका अध्यक्ष तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त को बनाया गया था। पूर्व के प्रमंडलीय आयुक्त सह अध्यक्ष प्रबंधकारिणी समिति केके खंडेलवाल ने डॉक्टर जयति सिमलाई को जिम्मेदारी वाले पद के लिए अयोग्य होने की प्रतिकूल टिप्पणी की थी। किंतु उसको दरकिनार करते हुए 2022 में उनको ही डॉक्टर सुभाष सोरेन की जगह पर प्रभारी निदेशक बना दिया गया।
ऑटोनोमी पर गहराया संकट
संस्थान को मिली स्वायत्तता पर संकट खड़ा हो गया है। जिस लालफीताशाही को समाप्त करने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्वायत्तता प्रदान की थी, वे अफसर फिर से रिनपास पर पूरी तरह शिकंजा कस चुके हैं। प्रबंधकारिणी समिति का अध्यक्ष विकास आयुक्त को बना दिया गया है। संयोगवश विकास आयुक्त और स्वास्थ्य विभाग के सचिव का पद अरुण कुमार सिंह के पास ही है। फिर भी संस्थान की दशा और दिशा में कोई परिवर्तन नहीं नजर आ रहा है। परमानेंट डायरेक्टर तक नहीं होने से विभागीय मंत्री और सचिव की कृपा से निदेशक का प्रभार पाने वाले संस्थान की स्वायत्तता को पूरी तरह से गिरवी रख कर इसको सरकार का एक पूर्ण विभाग की तरह चला रहे हैं। हर छोटे बड़े निर्णय जो उनको अपने स्तर पर लेने थे, वह भी विभाग ही तय कर रहा है। वहीं मैनपावर की गंभीर कमी से जूझते इस संस्थान की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए न तो इसकी प्रबंधनकारिणी समिति और न ही सरकार का स्वास्थ्य विभाग ही कही से भी गंभीर नजर आ रहा है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग यहां नए भवनों, विभागों के निर्माण कराने, मरम्मत, उपकरणों तथा वाहनों की खरीद आदि के लिए बजट के आवंटन से अलग भी फंड मुहैया करा रहा है तथा उन कार्यों को भी मनमाने तौर पर करवा रहा है। जबकि जो नए भवन तथा उपकरण लगे हैं, उनका उपयोग करने के लिए मैनपावर ही उपलब्ध नहीं है। इस कारण कई नवनिर्मित भवनों का इस्तेमाल ही नहीं हो रहा है।
Staff Nurses demonstrated at RINPAS its autonomy at stake kanke Ranchi Jharkhand
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