अनिल कुमार चौधरी/ Angara (Ranchi) आजकल खिजरी विस में पर-भारी(प्रभारी) को लेकर खूब चर्चा चल रही है। एक सप्ताह पहले एक क्षेत्रीय दल के कार्यकर्ता खिजरी विस क्षेत्र में प्रभारी पद की नियुक्ति को लेकर अपने दल के “सर्वोच्च साहब” के पास पहुंचे। “साहब” कुशल राजनितिज्ञ जो ठहरे। अपने कायर्कर्ताओं की मंशा भाप ली। प्रभारी पद की नियुक्ति से दल को होनेवाले नफा-नुकसान की पहले से ही जानकारी ले ली थी। प्रभारी की नियुक्ति को लेकर कार्यकर्ता इसलिए उत्साहित थे कि इन्हें लगता था जो प्रभारी बनेगा वही भविष्य में होनेवाले चुनाव में पार्टी का खेवनहार भी बनेगा। दूसरी बात प्रभारी बनते ही परजीवी कार्यकर्ताओं की चुनाव तक बल्ले-बल्ले रहेगी। यही सोचकर संभावित प्रभारी उम्मीदवारों के साथ साथ इनके समर्थक व दल के कथित अनुशासित कार्यकर्ता भी साहब के पास पहुंचे। आधा दर्जन संभावित उम्मीदवार पहुंचे। बैठक शुरू हुई। कुछ ने साहब के पास प्रस्ताव रखा चुनाव में काफी कम समय शेष है हुजूर अब तो “प्रभारी” की घोषणा कर दीजिए। प्रभारी की घोषणा कीजिए हम खिजरी विस में डंका बजाने को तैयार है। लेकिन साहब तो राजनिति के घाट घाट का पानी पीने के अनुभवी बोले, इससे क्या होगा। सवाल करनेवाले कार्यकर्ताओं की जमकर क्लास लगाई। बोले पहले सभी मिलकर संगठन को मजबूत कीजिए इसके बाद अद्यतन स्थिति की समीक्षा की जाएगी। मैं स्वयं खिजरी विस का प्रभारी रहूंगा। साहब के इस सवाल से परजीवी कार्यकर्ता सन्न रह गये। कुछ कार्यकता मायूस हो गये। लेकिन साहब ने दूरदृष्टि दिखाते हुए आरक्षित सीट खिजरी में गैर आरक्षित कार्यकर्ताओं को प्रभारी बनाकर संगठन मजबूती की बागडोर सौंपी। साहब के इस निर्णय से सभी तो बैठक से उठकर अपने अपने क्षेत्र के लिए कूच कर गये लेकिन एक दूसरे से सवाल करते रहे की “अब तेरा क्या होगा कालिया”।
हुजूर प्रभारी बना दीजिए, खिजरी विस में डंका बजा देंगे
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