पत्रकार तारकेश्वर महतो |
दर्दनाक घटना ने दिल को झकझोर कर रख दिया।
घटना की रिपोटिंग करते तारकेश्वर महतो |
आधा घंटा के अंदर पहुंच गया घटनास्थल
घटना की सूचना के आधा घंटा के अंदर घटनास्थल पर पहुंचा। शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक एक बार कि ऐसा लग रहा था यहां दबे लोगों को निकाल पाना एक सपना से कम नहीं लग रहा था। सभी लोग इधर से उधर दौड़ रहे थे कि रेस्क्यू कैसे किया जाए। यह सभी लोगों के दिमाग में चल रहा था। दूसरी और बारिश भी काफी परेशान कर रहा था। कुएं में जमींदोज व्यक्तियों में से एक व्यक्ति की रुक-रुक कर आवाजें बाहर आ रही थी। लोगों से जान बचा लेने की मिन्नतें कर रहा था। स्थानीय लोगों द्वारा भी काफी प्रयास किया जा रहा। ऐसे में कुछ देर के बाद ही काफी चमक दमक के साथ हिंडालको रेस्क्यू टीम भी पहुंची जिससे देखकर एक बार मानो ऐसा लगा की सभी लोग सकुशल बाहर निकल जाएंगे। टीम ने आधा एक घंटा बाद फंसे एक व्यक्ति को बाहर निकाला। उसके बाद अपना कार्य कर कब घटनास्थल से धीरे से निकल गए। पता ही नही चला। इतनी बड़ी घटना को छोड़ हिंडालको क्यों निकल गया यह समझ से परे है।
रेस्क्यू के लिए मंगाये गये तीन जेसीबी व पोकलेन
घटना पर निगाह रखे तारकेश्वर महतो |
पहली बार रातभर जागकर की रिपोटिंग
पहली बार रातभर जगाकर रिपोटिंग की। रातभर चल रही रेस्क्यू आपरेशन के बाद विधायक सुदेश महतो, स्थानीय प्रशासन एवं ग्रामीणों के साथ कार्यस्थल पर डटे रहे है। देर रात तक आधे से अधिक ग्रामीण घर जा चुके थे। रात उजाले की ओर आने लगा वैसे-वैसे ग्रामीणों के भीड़ जुटने लगी। ग्रामीणों ने वापस आकर विधायक के साथ साथ आजसू के वरीय नेता सिल्ली मुरी थाना प्रभारी प्रखंड विकास पदाधिकारी सिल्ली डीएसपी सिल्ली प्रमुख जिला परिषद उपाध्यक्ष पूर्व जिला परिषद सदस्य के साथ-साथ सिल्ली अस्पताल के पूरे टीम को देर रात जहां पर छोड़ गए थे उसी स्थल पर देख ग्रामीण चौक गए।
मोबाइल डिस्चार्ज हुआ, लोगों से संपर्क हुआ बंद
उजाला होते ही सभी के सहयोग से एनडीआरएफ की टीमों ने लगभग 6:30 बजे सबसे पहले उक्त मवेशी के शव को बाहर निकाला जिसके लिए वह घटना घटी थी। उसके बाद 7:20 में रमेश मांझी नामक व्यक्ति का शव बाहर निकल गया। अब जैसे-जैसे दिन होता चला गया वैसे-वैसे बड़े-बड़े पत्रकारों का भी आना प्रारंभ हो गया। ऐसी स्थिति में हम जैसे ग्रामीण पत्रकारों एक किनारे जाकर बैठ गए। बड़े-बड़े पत्रकारों की कार्य करने के तरीकों को देखने लगा। रातभर जागने के कारण मोबाइल भी डिस्चार्ज हो गया। लोगों से संपर्क नही हो पा रहा था। पल पल की रिपोटिंग करनी थी सो तनाव बना हुआ था।
मौत पर लगा था मजमा
फिर लगभग 2 घंटे के बाद दो व्यक्ति का शव निकाला गया तत्पश्चात लगभग 1 बजे अंतिम व्यक्ति बहादुर मांझी के शव को निकाला गया। जैसे-जैसे कुएं से लोगों का शव बाहर आने लगा वैसे वैसे परिजनों का चीखने-रोने की आवाज लगातार सुनाई दे रही थी। इस दौरान रांची सांसद संजय सेठ भी अपने समर्थकों के साथ घटनास्थल पहुंचे। वे चार घंटा मोके पर रहे। सभी जमींदोज व्यक्ति का शव बाहर आने के बाद मौके से भीड़ छंट गई। मौत पर लोगों का मजमा लगा था।
अपील: शव पर राजनीति ना करें
दूसरे दिन देर शाम तब मन विचलित हुआ जब कई नेता इस दर्द भरी घटना को भी राजनीति का रूप देने का प्रयास करने लगे। वैसे लोगों से बस एक निवेदन करना चाहता हूं ऐसे घटना में राजनीति से ऊपर उठकर एक प्लेटफार्म पर आकर काम करने की जरूरत है। जिससे हम आने वाले नए पीढ़ी को एक संदेश दे सके।
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