GA4-314340326 75 वर्षो से हो रही ओरमांझी इंद्र पूजा मेला में उमड़ी भीड़

75 वर्षो से हो रही ओरमांझी इंद्र पूजा मेला में उमड़ी भीड़

मंचासीन अतिथि
आमोद साहू/ormanjhi(ranchi) गांगुटोली बगीचा मैदान ओरमांझी में बुधवार को एतिहासिक इंद्र मेला लगा। इंद्र मेला समिति द्वारा गोर्वधन पर्वत का प्रतीक 30 फीट की इंद्र टोपर खड़ा कर भगवान इंद्र की पूजा की गई। वहीं नागपुरी सांस्कृतिक कायर्क्रम का आयोजन हुआ। जिसमें झारखंड के नागपुरी फिल्म कलाकर विवेक नायक सहित कई कलाकारों की प्रस्तुती में लोग झुमते नजर आए। वहीं पूरा मेला मैदान मिठाई व खिलौना की दुकान से सजी थी। मुख्य अतिथि पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने मेला का उद्घाटन किया। इन्होंने कहा शुरू से भारत देवी-देवताओं व प्राकृतिक पूजक देश रहा है। झारखंड के पर्व त्योहार, पूजा पद्धति व मेला राज्य की संस्कृति, संस्कार व प्रकृतिक से जोड़ती है। वहीं विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक रामकुमार पाहन व भाजपा पूर्व जिला अध्यक्ष जैलेंद्र कुमार ने कहा भगवान इंद्र की पूजा व मेला का ऐतिहासिक महत्व है। इंद्र भगवान की पूजा कर किसान अपने बेहतर फसल व वर्षा की प्रार्थना करते है। 

मेला में पूजा करते श्रद्धालु
इनकी रही गरिमामयी उपस्थिति:  इंद्र पूजा समिति के मुख्य संरक्षक सह पूर्व उपप्रमुख जयगोविंद उर्फ लालू साहू ने कायर्क्रम का संचालन किया। मौके पर ओरमांझी थाना प्रभारी आलोक सिंह, मुखिया दीपक बड़ाईक, पंसस ललिता मेहता, वार्ड सदस्य संघ के अध्यक्ष सत्यराज कुशवाहा, पूजा समिति के अध्यक्ष सत्यनारायण तिवारी, सचिव श्यामकिशोर महतो, दुर्गाशंकर साहू, इंद्र पूजा समिति के अध्यक्ष शिवनारायण साहू, सचिव नोना पाहन, शंकर गुप्ता, रामकुमार महतो, अजय सिंह, हरिशचंद्र महतो, नरेश महतो, परमेश्वर साहू, भीम मुंडा, रामबृक्ष महतो, रंजन करमाली, योगेंद्र मुंडा, मोहन नायक, सुनील नायक, मुन्ना तिवारी, पुजारी अशोक नारायण तिवारी व पंडित नीरज पांडेय आदि उपस्थित थे। 
53 सालों से मेला समिति के अध्यक्ष है प्रगतिशील किसान शिवनारायण साहू

53 सालों से मेला समिति के अध्यक्ष शिवनारायण साहू

राजा टिकैत ने की थी पूजा व मेला की शुरूआत- इंद्र मेला समिति के अध्यक्ष सह केंद्र व राज्य सरकार से सम्मानित प्रगतिशील किसान शिवनारायण साहू के नेतृत्व में पिछले 53 वर्ष से गांगुटोली में मेला लगाए जा रहे है। इसकी जानकारी देते हुए उन्होने बताया कि सबसे पहले राजा टिकैत विशेश्वर सिंह द्वारा मेला लगाया जाता था। आजादी के बाद राजा ने अपने सेवादार दिगंबर सिंह को यह जिम्मेदारी सौंप दी। उन्होने कुछ वर्ष जिम्मेदारी संभाली जिसके बाद उन्होने पूजा समिति ओरमांझी को सौंप दिया। पूजा समिति द्वारा ई0 1970-71 में पूजा व मेला करने की जिम्मेदारी शिवनारायण साहू को सौंप दिया। तब से गांव वालों के सहयोग से लगातार पूजा व मेला लगते आ रहा है। 
मेला की सुरत बदली पर आस्था नही

मेला में नृत्य करते कलाकार
मेला समिति के सदस्यों ने बताया कि पहले मनोरंजन का एक मात्र साधन मेला होता था। उस समय मेला में बाहर से नर्तकी आती थी। बाद में खोड़ा नृत्य व झुमर नृत्य होने लगी, और अब नागपुरी व सांस्कृतिक कायर्क्रम होने लगा है। मेला की सुरत बदली पर पूजा व आस्था में कोई बदलाव नही आया। अभी भी इंद्र टोपर की खूंटा पर पूरे विधि-विधान से पूजा होती है। 

मेला में आसपास के अनेक गांवों से पहुंचे श्रद्धालु

मेला में उमड़ी भीड़
मेला को सफल बनाने में इनका रहा उल्लेखनीय योगदान।  

संतोष साहू, सुनील मुंडा, अरुण साहू, राजू मुंडा, नेपाल मुंडा, दशरथ पाहन, अर्जुन साहू व गोपाल मुंडा, कृष्णा पाहन, विक्की मुंडा, रूपेश साहू, मुकेंद्र मुंडा, प्रकाश मुंडा, मनोज साहू, महेश साहू, अनोज मुंडा, हरिश्चंद्र साहू, दीपक मुंडा, दिनेश साहू, सिकंदर मुंडा, भानू साहू, विमल मुंडा, महेश मुंडा, कविश्वर मुंडा, गणेश महतो, प्रकाश मुंडा, दीपक मुंडा, दिलेश्वर मुंडा, सागर मुंडा, मनोज मुंडा, सुजीत मुंडा, राजू मुंडा, सन्नी करमाली, करण मुंडा, सचिन साहू, पन्नालाल मुंडा, मंगेश साहू, किशोर मुंडा, रामधीरन मुंडा, मुकेश मुंडा, शशि मुंडा, विनोद मुंडा, आदित्य मुंडा, अशोक साहू, रामकुमार मुंडा, रमेश साहू, महेंद्र मुंडा, प्रकाश भगत।   

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