GA4-314340326 Mahakumbh-2025 : देवघर की किन्नर रोज मौसी ने त्रिवेणी संगम पर खुद का किया पिंडदान, सांसरिक जीवन को त्याग बनीं संन्यासिनी

Mahakumbh-2025 : देवघर की किन्नर रोज मौसी ने त्रिवेणी संगम पर खुद का किया पिंडदान, सांसरिक जीवन को त्याग बनीं संन्यासिनी

 *संन्यासिनी रोज मौसी अब राजेश्वरी नंद गिरि के नाम जानी जाएंगी 

प्रयागराज के संगम तट पर अपना पिंडदान करतीं रोज मौसी। 

Deoghar (Jharkhand): शहर के बंधा मोहल्ला निवासी किन्नर समाज की गधिपति (मालकिन) रोज मौसी ने प्रयागराज के महाकुंभ में त्रिवेणी संगम घाट पर खुद का पिंडदान किया और सांसरिक जीवन को त्याग कर संन्यासिनी बन गई है।  17 जनवरी को रोज मौसी को महाकुंभ (Mahakumbh-2025) में अंतरराष्ट्रीय किन्नर अखाड़ा (जूना अखाड़ा) की ओर से महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी। इसके बाद उन्होंने अपने नाम का पिंडदान कर सांसरिक मोहमाया को त्याग दिया है और संन्यास जीवन अपना लिया है। संन्यासिनी रोज मौसी अब राजेश्वरी नंद गिरि के नाम से जानी और पहचानी जाएगी। 

संन्यास धारण करने के बाद महाकुंभ  पहुंचीं

राजेश्वरी नंद गिरि ने कहा कि मानव का जीवन मानव कल्याण के लिए बना है। शुरू के दिनों से ही लोगों की सेवा में परम सुख का आनंद लेती थी। अब संन्यास धारण करने के बाद अपना पूरा जीवन लोक कल्याण और मानव कल्याण के साथ-साथ धर्म की रक्षा के लिए समर्पित कर चुकी है। उल्लेखनीय है कि महामंडलेवर की उपाधि मिलने के बाद रोज मौसी देवघर पहुंच कर आभार यात्रा निकाली थी और बाबा बैद्यनाथ की पूजा-अर्चना की थी।

जनसेवा का कार्य लगातार जारी रहेगा : रोजनंद गिरि 

संंन्यासिनी राजेश्वरी नंद गिरि ने बताया कि देवघर की किन्नर समाज की मालकिन होने के नाते लगातार जन सेवा का कार्य वे करती रही है और अब जिम्मेदारी और बढ़ गई है। अपना सारा जीवन मानवता की सेवा को समर्पित कर रही हूं और आगे भी जनसेवा का कार्य जारी रहेगा।


Mahakumbh-2025: Deoghar's eunuch Rose Mausi performed her own Pind Daan at Triveni Sangam, renounced worldly life and became a sanyasini



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