GA4-314340326 मनुष्य के भाग्य से जुड़ा है उसका संचित कर्म: अमृता

मनुष्य के भाग्य से जुड़ा है उसका संचित कर्म: अमृता

silli(ranchi)  सिल्ली पोस्ट आफिस के पीछे श्मशान काली मंदिर के समीप सात दिवसीय राम कथा के पांचवे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। वही श्रद्धापश्चात कथा वाचक अमृता त्रिपाठी के सानिध्य में शिव, पार्वती, राधाकृष्ण, भगवान श्री राम, लक्ष्मण, सीता एवं हनुमान की मुर्तियों की विधिवत पूजा अर्चना की गई। इसके बाद शाम 7 बजे से कथा वाचक अमृता त्रिपाठी ने अपने प्रवचन में कहा कि लोग अपने जीवन में कर्म करते वक्त न तो उससे मिलने वाले फल के बारे में अधिक सोचते हैं और न ही ये कि उन कर्मों का उनके भाग्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। वो बस इतना ध्यान देते हैं कि जब वो अच्छा कर्म करते हैं, तो उन्हें जल्दी से उसका फल चाहिए और जब बुरा करते हैं, तो उसे भूल जाना चाहते हैं। लेकिन शास्त्रों में जिस तरह कर्म का हमारे जीवन पर प्रभाव की व्याख्या की गई है, प्रत्येक व्यक्ति को उसपर जरूर विचार करना चाहिए। वो कर्म हैं जो एक मनुष्य द्वारा वर्तमान जन्म में किया जा रहा है या हो रहा है। ये सच है कि आपका भाग्य बहुत हद तक आपके संचित कर्मों पर आधारित होता है लेकिन उसे क्रियमाण कर्म द्वारा बदला जा सकता है। केवल इतना ही नहीं, कएक मनुष्य के क्रियमाण कर्म में जितने अच्छे काम होंगे, वह उसके संचित कर्म में मौजूद बुरे कर्मों को भी काटते जायेंगे। इसलिए, यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति अभी अपने भाग्य को कोसने के बजाय अपने कर्मों पर ध्यान दे ताकि आगे उसका जीवन अच्छा बीते। तभी तो भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म कर, फल की चिंता मत कर केवल वर्तमान के जन्म के कर्म के प्रति सजग रह सकता है लेकिन लेकिन भगवान इन कर्मों को जानते हैं और वो उसके अनुसार आपको फल भी देते है।

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