Silli (Ranchi) : राज्य सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने और स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए नावाचार कर रही है। वहीं, दूसरी ओर जिम्मेदार अफसरों की अनदेखी के कारण सिल्ली प्रखंड में कई सरकारी स्कूलों के शिक्षक बच्रचों के भविष्य खिलवाड़ कर रहे हैं। वे अपनी मर्जी से स्कूल आते हैं और जाते हैं। यही हाल सिल्ली प्रखंड मुख्यालय के राजकीय प्राथमिक विद्यालय, हरवाडीह का है। यहां 20 बच्चें नामांकित हैं। शुक्रवार को 12 बच्चे स्कूल में उपस्थित थे। लेकिन, यहां पदस्थापित सरकारी शिक्षक अविनाश कुमार नदारद थे। पूछने पर पता चला कि वह रांची से आना-जाना करते हैं, इस वजह से अक्सर लेट से पहुंचते हैं और जल्दी चले जाते हैं। दूसरे शिक्षक हैं मंगल सिंह महली। वह हरवाडीह के ही रहनेवाले हैं। उनका पद पारा शिक्षक का है। लेकिन, शिक्षा विभाग के अफसरों की मेहरबानी से पिछले पांच साल वह सहायक प्रधानाध्यापक का पद संभाल रहे हैं। नियमत: पारा शिक्षक की दूसरे स्कूल में प्रतिनियुक्ति नहीं होती है, फिर इस नियम का ताक पर रखकर शिक्षा विभाग के अफसरों ने उनकी प्रतिनियुक्ति राजकीयकृत प्राथमिक विद्यालय गराई में कर दी है। शुक्रवार को विद्यालय खुलने के निर्धारित समय से दो-ढाई घंटे बाद महली राप्रा विद्यालय, गराई पहुंचे। पत्रकारों ने जब उनसे कारण पूछा, तो बोले 9 बजे हरवाडीह स्कूल में हाजरी बनाए हैं। 11 बजे गराई विद्यालय पहुंचे हैं। उनसे जब बच्चों की नामांकन संख्या और उपस्थिति की जानकारी मांगी गयी, तो बोले- मुझे हाजिरी बही नहीं मिली है। एक सप्ताह से बच्चों का हाजरी मौखिक रूप से बना रहे हैं। इधर, बताया गया कि प्रखंड मुख्यालय में बैठे बीईईओ-बीपीओ और बीआरसी स्कूलों के निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति करते हैं।
सरकारी शिक्षक के रहते पारा शिक्षक को सहायक प्रधानाध्यापक बनाना गलत
इस संबंध में सिल्ली प्रखंड के बीईईओ जयमंगल लोहार से पूछा गया, तो उन्होंने कहा- किसी भी विद्यालय में सरकारी शिक्षक के रहते हैं पारा शिक्षक को सहायक प्रधानाध्यापक बनाना गलत है। गौरतलब है कि जयमंगल लोहार की यहां बीईईओ के पद पर एक महीना पहले पोस्टिंग हुई थी। वह शुक्रवार (28 फरवरी) को रिटायर हो गए।
Silli: Ignoring the rules, para teacher was made principal, also deputed to another school
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