* मामले का खुलासा होेने पर डीएचओ ने दोनों बैंक प्रबंधन को दी जानकारी
* फर्जी आपूर्तिकर्ता के नाम पर निकाले गए पैसे, विभाग ने शुरू की जांच
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जिला पशुपालन पदाधिकारी के फर्जी साइन से जारी पत्र, जिसके आधार पर पैसों की निकासी हुई। |
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
तीन जनवरी 2025 को इंडियन बैंक साप्तर ब्रांच के शाखा प्रबंधक को जिला पशुपालन विभाग का फ र्जी पत्र मिला, जिसमें चूजा आपूर्तिकर्ता विष्णु कुमार गोप के खाते में सात लाभुकों के नाम से तीन लाख 41 हजार 985 रुपए ट्रांसफर करने का अनुरोध किया गया था। बैंक ने उक्त पत्र को सही मानकर कथित आपूर्तिकर्ता विष्णु कुमार गोप के धनबाद स्थित पंजाब एंड सिंध बैंक के खाते में ुउक्त राशि ट्रांसफर कर दी। जबकि जिला पशुपालन विभाग में विष्णु कुमार गोप के नाम से कोर्ई आपूर्तिकर्ता ही नहीं है। इस निकासी के करीब पौने तीन माह बाद जिला गव्य विभाग में संबंधित लाभुक पहुंचे और गाय नहीं मिलने पैसे निकासी की सूचना दी। इसके बाद जिला गव्य विकास पदाधिकारी ने इसकी सूचना जिला पशुपालन विभाग को दी। डीएचओ ने पत्र देखा तो हैरान रह गए। क्योेंकि पत्र में उनका साइन फ र्जी था। यहीं नहीं, पत्रांक भी फ र्जी डाला गया था। साथ ही लेखापाल का भी फ र्जी साइन किया गया था। इस खुलासे के बाद विभाग की ओर से आनन-फानन में दोनों बैंकों को सूचित किया गया, ताकि आगे कोई ऐसी और निकासी न हो सके।
क्या लिखा है शाखा प्रबंधक को प्रेषित फर्जी पत्र में
शाखा प्रबंधक को प्रेषित जालसाज के फ र्जी पत्र में मुख्यमंत्री पशुधन योजना वित्तीय वर्ष 2023-24 के तहत ब्रॉयलर कुक्कुट योजना के 100 प्रतिशत अनुदान की राशि 48855 रुपए सरकार के आदेशानुसार लाभुक के खाते में जमा किया गया है। ब्रॉयलर कुक्कुट (500 चूजा) की आपूर्ति आपूर्तिकर्ता के द्वारा कर दी गई है। पत्र में सात लाभुकों का भी विवरण दिया गया है। जबकि पशुपालन विभाग की ओर से कभी भी लाभुकों का विवरण देकर बैंक को पत्र नहीं लिखा जाता है।
विभाग की आरंभिक में क्या आया
विभागीय जांच में यह भी पता चला कि निकासी की गई राशि ब्रॉयलर कुक्कुट योजना से संबंधित नहीं है। इस योजना की राशि 75 प्रतिशत 50 हजार 524 और 90 प्रतिशत योजना की राशि 60 हजार 629 है। जबकि सप्लायर को भेजे जाने वाली योजना की कुल राशि 67 हजार 365 है। लाभुकों के खाते में विभाग की ओर से डीबीटी के पूर्व योजना की पूरी राशि 67 हजार 365 पर हॉल्ड लगाया जाता है, जिसे योजना देने के बाद लाभुकों के खाते से सप्लायर के खाते से ट्रांसफर कर दी जाती है। विभाग की ओर से सप्लायर को पैसे निकासी से संबंधित बैंक के पत्र के साथ पीसीआर की कॉपी भी दी जाती है, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो। लेकिन उक्त अवैध निकासी में पीसीआर की कॉपी नहीं दी गई थी। पत्र में ही सारे लाभुकों की सूची और एकाउंट डिटेल्स डाला गया था।
मेरे फ र्जी साइन से पैसों की निकासी का मामला सामने आया है। इसकी जांच की जा रही है। तत्काल दोनों बैंकों को सूचित कर दिया गया है। अग्रतर कार्रवाई की जा रही है। विभाग को भी इसकी जानकारी दी जा रही है।
- डॉ. पीके स्वाइन, जिला पशुपालन पदाधिकारी
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