GA4-314340326 सरहुल विभिन्न आदिवासी समाज को एक सूत्र में पिरोता है: गीताश्री उरांव

सरहुल विभिन्न आदिवासी समाज को एक सूत्र में पिरोता है: गीताश्री उरांव

NUSRL में धूमधाम से हुआ सरहुल पूर्व संध्या का भव्य आयोजन

कार्यक्रम में शामिल स्टूडेंट्स, मुख्य अतिथि, विवि के वीसी व शिक्षक।

Kanke (Ranchi) : नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (NUSRL) में सरहुल पूर्व संध्या का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम में झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक नृत्य-संगीत और नाटकीय प्रस्तुतियों के जरिए सरहुल के महत्व को प्रदर्शित किया गया। मुख्य अतिथि झारखंड की पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने अपने संदेश में आदिवासी परंपराओं के संरक्षण और प्रकृति की सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरहुल पर्व को अलग-अलग आदिवासी समुदायों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे खद्दी,  बाहा और बा:,पर यह  सांस्कृतिक रूप से विभिन्न आदिवासी समाज को एक सूत्र में पिरोता है। यह त्योहार प्रकृति के संरक्षण और साल वृक्ष की महत्ता का प्रतीक है। सरहुल शोभायात्रा हमारी आदिवासी संस्कृति की सुंदरता को दर्शाती है। 

सरहुल प्रकृति से जुड़ने और नए साल की शुरुआत का संदेश देता है: पाटिल

NUSRL के कुलपति प्रो. डॉ. अशोक आर. पाटिल ने कहा कि सरहुल हमें प्रकृति से जुड़ने और नए साल की शुरुआत का संदेश देता है। हमारी जिम्मेवारी है कि हम पर्यावरण की रक्षा करें और अपनी सांस्कृतिक जड़ों को संजोए रखें। उन्होंने छात्रों से अधिक से अधिक पेड़ लगाने का आह्वान भी किया। इस अवसर पर रामचंद्र उरांव ने सरहुल के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला, जबकि सहायक रजिस्ट्रार डॉ. जीसु केतन पटनायक ने आयोजक टीम को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में सरहुल शोभायात्रा और पारंपरिक रीति-रिवाजों का आयोजन किया गया, जिसने उपस्थित लोगों का उत्साह बढ़ाया। सरहुल पर्व प्रकृति, संस्कृति और नववर्ष के आगमन का प्रतीक है, जिसे एनयूएसआरएल ने उत्साह और उमंग के साथ मनाया।




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