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सफलता की राह में संघर्ष -
सुकृति सिंह ने 2016 में एक सड़क दुर्घटना में अपना एक पैर खो दिया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। संघर्षों से जूझते हुए उन्होंने तीरंदाजी में अपना करियर बनाया और लगातार मेहनत से राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
अब तक की उपलब्धियां-
2024 में पंजाब में आयोजित सीनियर राष्ट्रीय पैरा तीरंदाजी प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। 2025 में राजस्थान में आयोजित सीनियर राष्ट्रीय पैरा तीरंदाजी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। झारखंड की पहली रिकर्व डिवीजन पैरा तीरंदाज होने का गौरव प्राप्त किया।
प्रशिक्षण और सहयोग-
22 जुलाई 2023 से प्रकाश राम और शिशिर महतो से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही सुकृति ने अपने शुरुआती कदम कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, मांडू से प्रशिक्षक सुचिता के मार्गदर्शन में इंडियन राउंड तीरंदाजी से शुरू किए थे। वर्तमान में वह बिरसा मुंडा तीरंदाजी अकादमी, सिल्ली में प्रशिक्षण ले रही हैं, जो झारखंड के कई पैरा तीरंदाजों के लिए वरदान साबित हो रही है।
सुकृति की मां मीरा देवी ने कहा,
"बिरसा मुंडा तीरंदाजी अकादमी मेरी बेटी के लिए वरदान साबित हुई है। मैं एकेडमी के संचालक सुदेश जी, अध्यक्ष नेहा महतो और कोच प्रकाश राम, शिशिर महतो का आभार प्रकट करती हूं, जिनके मार्गदर्शन से मेरी बेटी राज्य का नाम रोशन कर रही है।"
बधाइयों का तांता-
सुकृति की इस उपलब्धि पर खेल विभाग के उपनिदेशक श्री राजेश कुमार, जिला खेल पदाधिकारी श्री शिवेंद्र सिंह, मणिकांत जी, रांची जिला तीरंदाजी संघ के सचिव श्री चंचल भट्टाचार्य समेत कई खेल अधिकारियों, खिलाड़ियों और कोचों ने उन्हें बधाई दी।
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