GA4-314340326 बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पौधों के वायरस पर हुआ व्याख्यान का आयोजन

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पौधों के वायरस पर हुआ व्याख्यान का आयोजन

फोटो: बीएयू में व्याख्यान देते डॉ वीके बर्णवाल । अच्छी उत्पादकता के लिए करें प्रमाणित बीज व रोपण सामग्री का उपयोग: डॉ वीके बर्णवाल कांके। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में 'आधुनिक जांच उपकरणों द्वारा विषाणु जनित रोगों की पहचान एवं प्रबंधन' विषय पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया। इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान,नई दिल्ली के पौधा रोग प्रभाग के नेशनल प्रोफेसर डॉ वीके बर्णवाल ने अपना व्याख्यान दिया। कहा कि किसान बीज वाहित नुकसानदेह विषाणुओं से बचाव और बेहतर उत्पादकता के लिए केवल प्रमाणित बीज एवं रोपण सामग्री का ही उपयोग करें। उन्होंने वायरस स्क्रीनिंग के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने की वकालत करते हुए कहा कि नियंत्रण की तुलना में बचाव हमेशा अच्छा होता है। उन्होंने कहा कि सब्जी फसलों में बीजोपचार और मल्चिंग विषाणुओं तथा वायुजनित कीड़ों के नियंत्रण का एक प्रभावी उपाय है, क्योंकि उच्च तापक्रम से भी वायरस का नियंत्रण नहीं हो पाता। बताया कि दुनिया भर के शोध संस्थाओं द्वारा अब तक 10 हजार से अधिक विषाणुओं की पहचान की गई है। इनमें लगभग 4000 पौधों के विषाणु हैं। ये सतह पर तथा हवा में या दोनों तरफ से फैलते हैं। बीज और प्रसार सामग्री इनके लिए वाहक मेजबान का कार्य करते हैं। उन्होंने विषाणु रोगों की जांच सम्बन्धी नवाचारों, उनकी पहचान में आने वाली चुनौतियों, जांच संबंधी उपकरणों, धान के उभरते रोगों की हेतुकी (इटियोलॉजी) तथा विषाणु रोगों की प्रबंधन तकनीकों पर भी प्रकाश डाला। डॉ बर्णवाल ने कहा कि वायरस की प्रजातियों की पहचान, जांच और विश्लेषण के लिए पिछले पांच दशकों में एलिसा और पीसीआर दो महत्वपूर्ण तकनीकें विकसित हुई हैं। पौधों में एक साथ कई विषाणु रोगों का प्रकोप हो सकता है। वे पौधों और कीड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, किंतु पौधों के माध्यम से मनुष्य में नहीं फैलते। स्वच्छ और सुरक्षित पौधा कार्यक्रमके लिए 1800 करोड़ का प्रावधान : बताया कि भारत सरकार ने स्वच्छ और सुरक्षित पौधा कार्यक्रम के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष में 1800 करोड रुपए का बजट प्रावधान किया है। नई दिल्ली स्थित एडवांस्ड सेंटर फॉर प्लांट वायरोलॉजी इस प्रबंधन कार्यक्रम का समन्वयन एवं मार्गदर्शन कर रहा है। कहा कि अमेरिका में पौधों के विषाणुओं के प्रबंधन और नियंत्रण का कड़ा कानून है। यदि 3000 के सैंपल में एक भी पौधा इन्फेक्टेड पाया जाता है तो वह पूरे लॉट को नष्ट कर देते हैं। उन्होंने कहा कि समुचित ढांचागत सुविधाओं तथा तकनीकी रूप से दक्ष मानव संसाधन की उपलब्धता के बगैर वायरस संबंधी कोई भी जांच कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता। कार्यक्रम की अध्यक्षता बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने की। कृषि संकाय के डीन डॉ डीके शाही ने स्वागत भाषण तथा डॉ लाम दोर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। पौधा रोग विभागाध्यक्ष डॉ एचसी लाल ने अतिथि वक्ता डॉ बर्णवाल का परिचय दिया। व्याख्यान के बाद डॉ एमके गुप्त, डॉ एस कर्मकार तथा डॉ नन्दनी कुमारी ने डॉ बर्णवाल के समक्ष अपनी जिज्ञासा रखी जिसका उन्होंने समाधान किया।

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