GA4-314340326 परिजनों ने चंदा करके भरा था अस्पताल का बिल, स्वास्थ्य मंत्री बोले- जांच कराएंगे

परिजनों ने चंदा करके भरा था अस्पताल का बिल, स्वास्थ्य मंत्री बोले- जांच कराएंगे

* मामला कुंडा के प्राइवेट अस्पताल का बिल चुकता नहीं करने पर लाश को बंधक बनाने का
* स्वास्थ्य मंत्री पहुंचे कुंडा के मेधा सेवा सदन, डॉ. संजय से ली मामले की जानकारी

मरीज के स्वास्थ्य की जानकारी लेते स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी।
Deoghar : इलाज का बिल चुकता नहीं करने पर कुंडा के मेधा सेवा सदन में कन्हैया कापरी (चकरमा, मोहनपुर) की लाश को बंधक बनाने के मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी शनिवार को देवघर पहुंचे। मंत्री कुंडा के मेधा सेवा सदन गए और जहां कन्हैया कापरी भर्ती था। मंत्री ने वहां के संचालक डॉ. संजय कुमार से मामले की जानकारी ली। साथ ही मृतक कन्हैया के साथ जख्मी हुए अन्य इलाजरत युवक से भी मंत्री मिले और उसका हालचाल लिया। मामले की आरंभिक जांच के बाद मंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जो बातें मीडिया में आई है, वह सच नहीं है। खबरों में कुछ दिखाया गया है और सच्चाई कुछ और है। पीड़ित परिवार से बात हुई है। जमीन बेच कर अस्पताल का बिल चुकता करने की बात गलत है। भला एक दिन में जमीन कैसे बिकेगी। फिर भी सिविल सर्जन के नेतृत्व में एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, जो मामले की जांच कर दो दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देंगे। अगर मामले में प्राइवेट अस्पताल की तनिक भी गलती पाई जाएगी तो उसे सील कर दिया जाएगा। मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करने में मीडिया की बड़ी भूमिका है। जिस दिन मैंने स्वास्थ्य मंत्री के रूप में शपथ लिया था, उस दिन ही सभी मान्यता प्राप्त प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम प्रबंधन को निर्देश दिया था कि मरीज की मौत होने पर इंसानियत के नाते उससे पैसे नहीं ले और लाश को तुरंत रिलीज कर दे। फिर से मैं कहा रहा हूं कि जो भी प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम मेरे निर्देश को नहीं मानेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं कन्हैया के साथ जख्मी हुए युवक का मुफ्त में इलाज का निर्देश मंत्री ने डॉ. संजय को दिया है।

परिजनों ने 10 हजार कैसे जुटाए, जानने की कोशिश नहीं हुई

उधर, मृतक कन्हैया कापरी की मां वीणा देवी, मौसी, बहनोई समेत अन्य परिजनों का कहना है कि अस्पताल में करीब 40 हजार रुपए का इलाज, दवा आदि का बिल बना था। लेकिन उतने पैसे हमलोगों के पास नहीं थे। इस कारण लाश देने से अस्पताल ने इनकार कर दिया था। फिर चंदा कर किसी तरह हमलोगों ने दस हजार जुटाए। अस्पताल वाले आखिर में 15 हजार मांग रहे थे। लेकिन 15 हजार का जुगाड़ नहीं हो सका तो 10 हजार देकर हाथ जोड़ लिया। तब जाकर अस्पताल से लाश ले जाने दिया था।

पांच सदस्यीय टीम करेगी मामले की जांच

बिल चुकता नहीं करने पर कन्हैया कापरी की लाश को बंधक बनाए जाने के मामले में जांच को पांच सदस्यीय टीम कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी का नेतृत्व सिविल सर्जन डॉ. युगल किशोर चौधरी करेंगे। टीम ने उनके साथ एसीएमओ डॉ. पीके शर्मा, डॉ. अभय यादव, डॉ. श्याम सुंदर सिंह, डॉ. अमरीश ठाकुर को भी शामिल किया गया है। मंत्री ने दो दिनों के भीतर जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है।

45 हजार का बिल था, 10 हजार दिया था, बंधक बनाने का आरोप गलत : डॉ. संजय

कुंडा के मेधा सेवा सदन के संचालक डॉ. संजय  कुमार ने कहा कि मृतक के परिजनों के आरोप में जरा भी सच्चाई नहीं है। अस्पताल में सभी जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। उसकी जांच की जा सकती है। इस तरह की खबरें सरकार और डॉक्टर समुदाय को बदनाम करने की साजिश है। एक अप्रैल को मरीज को गंभीर हालत में लाया गया था। मरीज की कलाई की हड्डी कट कर अलग हो गई थी। हाथ काला होने की संभावना थी। उसे ठीक करने का प्रयास किया गया। मरीज को 24 घंटे बाद ही बाहर ले जाने की सलाह दी गई थी। लेकिन परिजन मरीजों को नहीं ले गए। आखिरकार मरीज की मृत्यु हो गई। इसके बाद परिजनों की न मुझसे मुलाकात हुई और न ही मैनेजर से। दवा दुकान में भी मरीज का दस हजार बकाया है। मरीजों को वेटिलेंटर पर रखा गया था। विधायक सुरेश पासवान ने फोन कर बिल में पांच हजार रुपए छोड़ने को भी कहा था। मरीज का कुल 45 हजार के आसपास बिल बना था। अंतत: दस हजार रुपए परिजनों ने दिया। अब इसे समाज और मीडिया जिस रूप में ले। हमलोग अपना काम करते रहेंगे। गरीबों के प्रति समर्पित भाव से इलाज चलता रहेगा।



The family had paid the hospital bill by collecting donations, the Health Minister said – we will get it investigated


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