GA4-314340326 Lohardaga Voilence : रामनवमी जुलूस पर पथराव के लिए लोग प्रशासन को क्यों ठहरा रहे जिम्मेदार…

Lohardaga Voilence : रामनवमी जुलूस पर पथराव के लिए लोग प्रशासन को क्यों ठहरा रहे जिम्मेदार…

 NB Team/ Lohardaga/Ranchi

रामनवमी के दिन झारखंड के कई जिलों में रामनवमी जुलूस पर पथराव और हमले किए गए। अधिकतर क्षेत्रों में रास्ते को लेकर एक समुदाय द्वारा विवाद खड़ा किया गया। इस दौरान दो समुदायों के बीच झड़प भी हुई। लेकिन, लोहरदगा जिले में हालात बेकाबू हो गया। लोगों के अनुसार, सदर थाना क्षेत्र स्थित हिरही गांव में शाम करीब साढ़े 5 बजे रामनवमी जुलूस अपने पारंपरिक रास्ते से होकर गुजर रहा था, तब कब्रिस्तान के अंदर से कुछ शरारती तत्वों ने जुलूस पर पथराव कर दिया। कब्रिस्तान के बगल में स्थित मदरसे से भी जुलूस में शामिल लोगों पर पथराव होने लगा। अचानक हुए हमले से भगदड़ मच गई। देखते ही देखते उपद्रवियों ने थोड़े दूर पर स्थित भोक्ता बागिचा में लगे रामनवमी मेले में पहुंचकर कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया। मेला घूमने आए लोगों की सात दोपहिया वाहनों को जला दिया। घटना में दोनों समुदाय के 15-20 लोग घायल हो गए। बाद में गंभीर रूप से घायल एक व्यक्ति की रिम्स, रांची में इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि चार से पांच लोग अभी भी रिम्स में भर्ती हैं। इन सभी की स्थिति नाजुक बताई जा रही है। प्रशासन ने अगले आदेश तक पूरे जिले में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया है। स्थिति सामान्य होने तक धारा 144 लगा दिया है।

घटनास्थल पर पहुंची नवभास्कर की टीम

 हालात को जानने के लिए घटना के करीब 15-16 घंटे के बाद सोमवार दोपहर 12 बजे के करीब घटनास्थल पर पहुंची नवभास्कर की टीम। पूछे क्षेत्र में बाजार बंद थे। जगह-जगह पुलिस बल तैनात थे। भोक्ता बागिचा में जहां रामनवमी मेला लगा था, वहां जली हुईं दुकानों व जले हुए दोपहिया वाहनों के राख, लोगों के बिखड़े हुए चप्पल और सामान पूरी घटना की विभिषिका बयां कर रहे थे।


सूनी सड़कें और डरे-सहमे हुए लोग

नवभास्कर की टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची, तो सबसे पहले सुनी सड़कों से सामना हुआ। हमने पहले मुस्लिम बहुल हिरही गांव में जाकर हालात जानने का प्रयास किया, तो अधिकतर घरों के दरवारों बंद थे। दरवाजा बजाने के बाद भी अंदर से किसी ने आवाज नहीं दी। एक-दो लोग सड़क पर मिले भी तो उन्होंने घटना के संबंध में बताने के बजाय यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि वे घटना के वक्त गांव में थे ही नहीं। काफी खोनबीन करने के बाद एक घर में एक महिला दिखी, तो वह भी दरवाजे के अंदर से ही बोली- हम कुछ नहीं जानते, हम बाहर थे। हम यहां नए आए हैं। जब उससे पूछा गया कि कल की घटना में कोई घायल भी हुआ है, तो बोली- आगे बस्ती में जाइए, वहां के लोग कुछ बता पाएंगे। जब हम बस्ती में पहुंचे, तो कोई हमारे सामने नहीं आया। बच्चे हमें देखकर भागने लगे। इसके बाद दूर जाकर छुपकर हमें देख रहे थे, जैसे ही उन्हें बात करने के लिए बुलाया गया, तो वे भाग खड़े हुए।

बरसों का संबंध और भरोसा एक पल में खत्म हो गया

हिरही गांव से निकलने के बाद जब हम पास के हेंदलासो गांव पहुंचे, तो वहां भी स्थिति यही थी। सबसे पहले हम ढाबानुमा एक होटल पर रुके। होटल बंद था। बाहर होटल की मालकिन खड़ी थी। हमने जब वहां बैठकर उनसे पीने के लिए पानी मांगा और इधर-उधर की बात करने के बाद कल की घटना के बारे में जानने की कोशिश की, तो वे होटल के अंदर रखे खाने-पीने के तैयार सामान को दिखाकर कहने लगीं कि रामनवमी मेले में हमलोग भी दुकान लगाए थे। अचानक दूसरे समुदाय के लोगों ने हमला कर दिया। बड़ी मुश्किल से हम बचकर भागे। हमारा सारा तैयार सामान बर्बाद हो गया। जब उनसे कैमरे के सामने बात करने को कहा गया, तो वह तैयार नहीं हुईं। वहां से हम जब आगे बढ़े तो रास्ते में दो जगह जली हुईं दुकानें मिलीं। दुकानों से सटे घरों में एक में तो कोई नहीं था। जबकि, दूसरे घर में एक मुस्लिम परिवार मिला। घर की महिलाएं बताने लगीं कि कैसे उनके घरों पर भीड़ ने हमला किया। संयोग से जान बची। घर के पुरुष सदस्य परवेज अंसारी ने बताया कि हम मेले में गए भी नहीं थे। हमारा सब्जी का बिजनेस है। पास में रविवार को साप्ताहिक हाट लगता है, हम वहीं सब्जी बेचने गए थे। घर पर जब हमला हुआ, तो हम बाजार में ही थे। घर की महिलाओं ने बताया कि जो लोग मेले में जा रहे थे, उनमें से कुछ लोग दिन में हमारी दुकान पर रुककर पानी पीकर गए और शाम को उन्हीं में से कुछ लोगों ने हमारे घर व दुकान को निशाना बना दिया। पलभर में बरसों का भरोसा और संबंध सब खत्म हो गया। जब, उनसे पूछा गया कि पुलिस कितने देर में पहुंची, तो उन्होंने कहा कि करीब 40-45 मिनट के बाद। यदि पहले से पुलिस अर्ल्ट रहती तो यह घटना ही नहीं होती।

मेरा बेटा दूसरे की मोटरसाइकिल लेकर मेला घूमने गया था…

आगे बढ़ने पर हम हिंदू बहुल इलाके शिवपुर में पहुंचे, हमें पता चला था कि कल की घटना में यहां का मनोहर साहू नाम का 22 साल का एक युवक गंभीर रूप से घायल हुआ है। इसलिए, हम खोजते-खोजते उसके घर तक पहुंचे। यहां भी सन्नाटा पसरा हुआ था, कैमरे के सामने कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं था। काफी मशक्कत के बाद हम मनोहर के घर पहुंचे। मुहल्ले के कुछ लोग भी हमें देखकर आए। हमें पता चला कि मनोहर के पिता का काफी पहले निधन हो गया है। घर का वह अकेला कमानेवाला सदस्य है। हाल ही में उसकी शादी हुई है। कुछ देर में उसकी मां आई, तो वह साद्री भाषा में बताने लगीं कि उनका बेटा दूसरे की मोटरसाइकिल मांगकर मेला घूमने गया था। वहां उस पर भीड़ ने हमला कर दिया और मोटरसाइकिल भी जला दी। मैं अपने बेटे को देखी भी नहीं हूं कि उसकी हालत क्या है? लोगों ने मोबाइल में ही उसकी फोटो दिखाई थी, वह बेहोस था… यहां भी लोगों ने बताया कि पुलिस घटना के एक से डेढ़ घंटे के बाद पहुंची। पुलिस ने आते ही दूसरे समुदाय के उपद्रवियों को कंट्रोल करने के बजाय रामनवमी जुलूस में शामिल लोगों को ही खदेड़ने लगी। पुलिस अब कार्रवाई भी एकतरफा कर रही है। ब्रजेश साहू, आनंद वर्मा, रामदेनी साहू और उनके पुत्र सतीश साहू को गिरफ्तार कर ली है, जबकि जुलूस पर हमला करनेवाला एक भी आरोपी नहीं पकड़ा गया है।

पूरी घटना के लिए प्रशासन जिम्मेदार

दोनों समुदायों से बात करने के बाद स्पष्ट हो गया कि इस घटना के लिए पूरी तरह प्रशासन जिम्मेदार है। क्योंकि, लोगों ने हमें बताया कि प्रशासन का पूरा फोकस जिला मुख्यालय पर था। यहां रामनवमी मेला और जुलूस को मिलाकर मात्र दो जवानों (इसमें एक स्थानीय चौकीदार) को तैनात किया गया था। यह जानते हुए कि मेले और जुलूस मिलाकर 10 हजार से ज्यादा लोग जुटते हैं। हमने इस संबंध में जब ड्यूटी पर तैनात पुलिस अफसर और मजिस्ट्रेट से बात करनी चाही, तो उनका कहना था कि वे इस मामले पर बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। उनका काम स्थिति को सामान्य बनाना है।  

     

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