GA4-314340326 हेमंत सरकार के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव भाजपा में शामिल होंगे!

हेमंत सरकार के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव भाजपा में शामिल होंगे!

NBR/ Ranchi

पूर्व आईपीएस अफसर झारखंड प्रदेश कांग्रेस (Jharkhand State Congress) के दिग्गज नेता और हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली राज्य की महागठबंधन सरकार के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव (Dr. Rameshwar Oraon) भाजपा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं? झारखंड के राजनीतिक गलियारों में यह सवाल इसलिए भी उठे हैं, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से लगातार पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही है। एक तरह से देखा जाए तो वे प्रदेश कांग्रेस में अलग-थलग पड़ गए हैं। हालांकि, यह अचानक नहीं हुआ है। राजेश ठाकुर ने प्रदेश कांग्रेस की कमान डॉ. उरांव से अपने हाथ लेने के बाद धीरे धीरे उन्हें हाशिए पर लगा दिया। रही-सही कसर अविनाश पांडे के प्रदेश प्रभारी बनकर आने के बाद पूरी हो गई। अब तो स्थिति यह है कि कांग्रेस में अपने भविष्य को लेकर डॉ. उरांव सशंकित हैं। क्योंकि, जिस तरह उनकी मर्जी के खिलाफ सुखदेव भगत और प्रदीप बालमुचू को कांग्रेस में वापसी कराई गई, यह सब लोगों ने देखा है। 


दुबे-गुप्ता के बहाने उरांव को कड़ा संदेश 

प्रदेश कांग्रेस की कमान राजेश ठाकुर (Rajesh Thakur) के हाथ में आने के बाद डॉ. रामेश्वर उरांव के साथ-साथ उनके समर्थकों को भी किनारे लगाया गया। डॉ. उरांव के हनुमान कहे जाने वाले आलोक दुबे, डॉ. राजेश कुमार गुप्ता उर्फ छोटू और लाल किशोर नाथ शाहदेव को पहले संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी गई, उसके बाद तीनों को प्रदेश नेतृत्व की आलोचना करने के आरोप में अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया गया। साथ ही, पार्टी से निकालने की भी अनुसंशा कर दी गई। यह एक तरह से डॉ. उरांव को पार्टी का कड़ा संदेश के तौर पर देखा गया।

सन्नी टोप्पो भाजपा में

डॉ. उरांव के बाकी करीबियों की तरह सन्नी टोप्पो (Sanni Toppo) भी कांग्रेस में किनारे लगा दिए गए हैं। अपने नेता और अपनी उपेक्षा से आहत होकर सन्नी 22 जनवरी को भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि उन्होंने डॉ. रामेश्वर उरांव की सहमति से ही यह निर्णय लिया है, क्योंकि डॉ. उरांव खुद भी भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं और वे अपने सारे करीबियों को भाजपा में सेट करने के बाद 2024 के आम चुनाव से पहले खुद भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर लेंगे। बताते चलें कि सन्नी टोप्पो मांडर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं।

सन्नी टोप्पो के स्वागत में लगा पोस्टर।

बंधु और सुखदेव के कद बढ़ने से भी नाराज

कहा जा रहा है कि कांग्रेस में सुखदेव भगत (Sukhdev Bhagat) और मांडर के पूर्व विधायक बंधु तिर्की (Bandhu Tirki) का कद बढ़ने से भी डॉ. उरांव नाराज चल रहे हैं। क्योंकि, सुखदेव भगत भी उसी लोहरदगा (Lohardaga) से विधानसभा का चुनाव लड़ते हैं, जहां से डॉ उरांव चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। दूसरी ओर, बंधु तिर्की (वर्तमान में उनकी बेटी नेहा शिल्पी तिर्की) मांडर से ही विधानसभा का चुनाव लड़ते हैं, जहां से सन्नी टोप्पो चुनाव लड़ते हैं। बंधु अभी कांग्रेस में प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष पद संभाल रहे हैं और उनकी सुपुत्री विधायक हैं।

डॉ. उरांव भाजपा में गए तो कांग्रेस को बड़ा झटका

डॉ रामेश्वर उरांव राजनीति में आने से पहले झारखंड कैडर के सीनियर आईएएस अफसर (IPS Officer) थे। डॉ. उरांव की छवि ईमानदार पुलिस अफसर की रही है। डीआईजी के पद पर रहते हुए उन्होंने ही भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के श्रीराम रथ को रोककर देशभर में तहलका मचा दिया था। उसके बाद उन्होंने आडवाणी को गिरफ्तार कर दुमका स्थित मसानजोर डैम के गेस्ट हाउस में नजरबंद कर दिया था। परिणामस्वरूप केंद्र की बीपी सिंह सरकार चली गई थी। उसके बाद 2000 के दशक में डॉ. उरांव  नौकरी से वीआरएस लेकर कांग्रेस में शामिल हो गए, फिर लोहरदगा लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहला चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे और केंद्र की मनमोहन सरकार में राज्यमंत्री के रूप में शामिल हुए। जो झारखंड में कांग्रेस कभी 10 से ऊपर का आंकड़ा पार नहीं कर सकी थी, प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए डॉ रामेश्वर उरांव ने उसे 18 विधायक जिताकर दिया। इसलिए, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि डॉ उरांव को यदि समय रहते कांग्रेस नहीं मना सकी, तो यह उनके लिए अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा। आदिवासियों के वोट बैंक से भी देखा जाए, तो डॉ उरांव को सरना और बंधु तिर्की को ईसाई धर्म के करीब माना जाता है।

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