जहां से चले थे फिर वहीं पहुंच गए उपेंद्र कुशवाहा
Patna (Bihar): बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और जदयू के बागी नेता उपेंद्र कुशवाहा को लेकर पिछले कुछ समय से जिस बात की अटकलें लगाई जा रही थी, वह सोमवार को सच साबित हुआ। राजधानी पटना में अपने समर्थकों के साथ बैठक करके उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। उन्होंने अपनी नई पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनता दल रखा है। इससे पूर्व उन्होंने जदयू (JDU) की प्राथमिकता सदस्यता के साथ ही पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा उन्होंने बिहार विधान परिषद के सदस्य (MLC) पद से भी त्यागपत्र दे दिया।
तेजस्वी को उत्तराधिकारी बनाए जाने से शुरू हुआ था विवाद
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) द्वारा करीब छह महीने पहले राजद के कार्यकारी अध्यक्ष और बिहार डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) को अपना उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के बाद उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) बागी हो गए थे। दोनों तरह से एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी का दौर चल रहा था।
मोदी सरकार में मंत्री रहे हैं उपेंद्र
2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में भाजपा का जदयू, रामविलास पासवान की लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के साथ गठबंधन था। गंठबंधन का फायदा यह हुआ कि कुशवाहा की पार्टी तीन सीटों पर जीती। इसके बाद मोदी मंत्रिमंडल में कुशवाहा को राज्य मंत्री बनाया गया। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कुशवाहा एनडीए से यह आरोप लगा कर निकल गए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गठबंधन दलों की नहीं सुनते हैं। 2019 के चुनाव में वह बसपा से मिलकर चुनाव लड़ें, लेकिन खुद भी हार गए।
2022 के विधानसभा चुनाव के बाद गए थे नीतीश के साथ
उपेंद्र कुशवाहा 2022 के विधानसभा चुनाव में अस्सुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ गठबंधन करके चुनाव में उतरे, लेकिन इस गठबंधन का फायदा ओवैसी को हुआ। ओवैसी की पार्टी 5 सीटें जीत गई। दूसरी ओर, कुशवाहा अपने किसी उम्मीदवार को नहीं जिता सके, यहां तक की खुद भी चुनाव हार गए। इसके बाद नीतीश कुमार कुमार के जदयू में उन्होंने अपनी पार्टी रालोसपा का विलय कर दिया। नीतीश ने तत्काल उन्हें जदयू का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद उन्हें पार्टी की ओर से MLC बना दिया। इसके बाद नीतीश जब पाला बदल कर राजद के साथ सरकार बना लिए तो कुशवाहा को लगा कि उन्हें डिप्टी सीएम की कुर्सी मिल जाएगी। लेकिन, नीतीश ने उन्हें डिप्टी सीएम तो दूर और अपना उत्तराधिकारी भी नहीं बनाया। इससे कुशवाहा की हसरतें बिखर गईं।
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