![]() |
सरहुल मिलन समारोह में शामिल लोग |
![]() |
खिजरी विधायक राजेश कच्छप का स्वागत करते रामानंद बेदिया। |
किसने क्या बोला
खिजरी विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि आदिवासी जीवन दर्शन सभी धर्मो का मूल है। इसे अपनाकर ही हम अपने प्रकृति का संरक्षण कर सकते है। आदिवासी और प्रकृति को एक दूसरे से अलग नही किया जा सकता है। आदिवासी समाज को राजनीतिक रूप से सजग होना होगा।
आदिवासी जनपरिषद के अध्यक्ष प्रेमशाही मुण्डा ने कहा कि सरहुल को अब राज्य पर्व का दर्जा मिलना चाहिए। सरहुल ने अपने आप को प्रकृति संरक्षण पर्व के रूप में स्थापित कर दिया है। और प्रकृति के संरक्षण पर ही मानव का अस्तित्व टिका है।
झामुमो के सिल्ली विस प्रभारी रामानंद बेदिया बताते है सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व धार्मिक रूप से आदिवासी समाज को एकजुट होने की जरूरत है। आदिवासी समाज ने निस्वार्थ भाव से हमेशा से समाज को प्रकृति संरक्षण को लेकर आइना दिखाते आये है। सरहुल के माध्यम से हम अपने आदिवासी परंपरा को प्रकृति संरक्षण के रूप में मनाते है। आदिवासी विकास की योजनाएं हमेशा आदिवासी समाज के प्रकृति संरक्षण के तारतम्य के साथ होनी चाहिए।
आयोजन समिति की अध्यक्ष फाल्गुनी शाही बताती है इस तरह के आयोजन से आदिवासी समाज में अपने धर्म व संस्कृति की पहचान बनाये रखने को लेकर जागरूकता आती है। हमें सामूहिक प्रयास से आदिवासी धर्म व संस्कृति की सुरक्षा करने की जरूरत है।
إرسال تعليق
please do not enter any spam link in the comment box.