GA4-314340326 “आत्महत्या के खिलाफ उपाय” परिचर्चा पर डॉ. मयंक मुरारी ने कहा सनातन से विमुख होने के कारण युवा हो रहे अवसादग्रस्त

“आत्महत्या के खिलाफ उपाय” परिचर्चा पर डॉ. मयंक मुरारी ने कहा सनातन से विमुख होने के कारण युवा हो रहे अवसादग्रस्त

 

अपने विचार रखते डा. मयंक मुरारी
Angara (Ranchi) आरटीसी बीएड कालेज बूटी में मंगलवार को “आत्महत्या के खिलाफ उपाय” पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसका उदघाटन मुख्य अतिथि साहित्यकार डा. मयंक मुरारी ने की। पत्रिका प्रांजल धारा के द्वारा व्याख्यान माला के तहत देश में बढ़ती आत्महत्या के विरुद्ध एक वैचारिक जागरूकता अभियान को इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता प्रांजल धारा के संपादक पंकज पुष्कर व संचालन डा. प्रिया पांडे ने की। छात्रों की विभिन्न सवालों का जवाब दिया गया। इस मौके पर मयंक मुरारी ने कहा कि हम नई दृष्टि से चुनौतियों को देखें। अपनी जिंदगी में सहजता और सरलता को बनाए रखे। सनातन से विमुख होने के कारण ही युवा पीढ़ी अवसाद ग्रस्त हो रही है। सनातन जीवन दर्शन है। सनातन से विमुख होते युवा आज लगातार अपनी आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा रहे है। अभिभावकों को भी अपने युवा हो रहे बच्चों को सनातन संस्कृति के बारे जरूर बताना चाहिए। हमारे जीवन में आने वाली चुनौतियों को हम नई दृष्टि से कैसे देखें कि वो चुनौतियां हमारे लिए एक अवसर बन जाए। इस कला को हमें अपने अंदर विकसित करना होगा। स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर, खुशवंत सिंह, रतन टाटा, आदि जितने भी महापुरुष हुए सब में एक बात कॉमन थी। सबने संघर्ष किया और रास्ता बनाय। उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन में आत्महत्या जैसी कोई परिकल्पना नहीं थी, ना ही कोई ऐसा नकारात्मक शब्द हमारे शब्दकोश में था। हमारे अंदर आज भी उस सकारात्मक ऊर्जा का निरंतर प्रवाह है बस उस प्रांजल प्रवाह को अपने अंदर हम महसूस करें और आगे बढ़े। प्रांजल धारा के संपादक पंकज पुष्कर ने कहा कि युवाओं में बढ़ रही बेचैनी को ध्यान में रखते हुए हम हर एक कॉलेज और स्कूल में-जीवन में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। इस अवसर पर आरटीसी बीएड कालेज के प्राचार्य डा. रंजीत कुमार, मनोरंजन प्रसाद सहित अन्य उपस्थित थे। 

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