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अभ्यास करती सुकृति |
Silli (Ranchi) अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं। बल्कि अपने संघर्ष और जज्बे से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। इस बात को सार्थक करते हुए सिल्ली बिरसा मुंडा आर्चरी सेंटर में तीरंदाजी की गुर सिख रही रामगढ़ मांडू निवासी सुरेश सिंह की 14 वर्षीय पुत्री सुकृति सिंह। महज 8 साल की उम्र में एक सड़क दुघर्टना में एक पैर गवां देने वाली सुकृति उन सभी लोगों के लिए मिशाल है जो जिदगी से हार मान जाते। सुकृति की माता मीरा देवी ने बताया घर के बाहर सड़क पार करने के दौरान एक ट्रक की चपेट आने से गम्भीर रूप से घायल हो गई थी। परिवार से जितना हो सका बेहतर इलाज का प्रयास किया फिर भी उसकी एक पैर को नहीं बचा पाया। इस घटना के बाद पुत्री ने हार नही मानी अपनी सहेलियों से उसी तरह हर खेल पर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगी। इसी दौरान सिल्ली आर्चरी के बारे सुनने के बाद वो उसने ठान लिया कि तीरंदाजी पर ही अपना कैरियर को आगे ले जाना है। वहीं सुकृति बताती है कि उन्हें आर्चरी सेंटर में कोच एवं अन्य प्रशिक्षुओं का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है।
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