GA4-314340326 झारखंड में सारस पक्षी का सबसे बड़ा प्रजाति लेसर एडजुटेंट स्ट्रोक रामगढ़ के बोरोविंग में मिला

झारखंड में सारस पक्षी का सबसे बड़ा प्रजाति लेसर एडजुटेंट स्ट्रोक रामगढ़ के बोरोविंग में मिला

 

रामगढ़ में मिला झारखंड का सबसे बड़ा सारस
अनिल विद्रोही/angara(ranchi) सारस प्रजाति का झारखंड में सबसे बड़ा पक्षी लेसर एडजुटेंट स्ट्रोक को गुरूवार को रामगढ़ जिला के बोरोविंग गांव में देखा गया। यह दुर्लभ प्रजाति का पक्षी है। गांव के सुरज मुण्डा व गौतम मुण्डा ने इस पक्षी की जानकारी बर्डमैन पन्नालाल को दी। तत्काल पन्नालाल अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे प पक्षी की पहचान की। बर्डमैन ने बताया कि सारस में पांच प्रजाति के पक्षी पाये जाते है। इसमें से यह सबसे बड़ा प्रजाति का है। झारखंड में यह पेटरवार(बोकारो) व स्वर्णरेखा नदी में रूक्का के आसपास देखे जाने की सूचना मिली थी।   

20 से 25 साल है इस सारस की उम्र

इस पक्षी की विशेषता यह है कि इसकी उम्र 20-25 साल होती है। यह पक्षी एक बार में 2-4 अंडे देती है। इसलिए यह दुर्लभ प्रजाति का है। इसकी उंचाई चार फीट, पंख की लंबाई 2-2.5 फीट, वजन 4-6 किग्रा होता है। आमतौर पर यह नेपाल के निचले भाग में, भूटान, कंबोडिया, सिंगापुर, श्रीलंका, बर्मा, मलेशिया व भारत के असम, बंगाल, बिहार, झारखंड में पाया जाता है। यह मुख्य रूप से नदी, झील, वेटलैंड, कम पानी वाले दलदली क्षेत्र में रहता है। पेड़ के सबसे उंचे स्थान में यह अपना घोंसला बनाता है। जुलाई से दिसंबर तक इसका मिटिंग समय रहता है। 28-30 दिन अंडा सेकनें के बाद बच्चें को जन्म देती है। इसका मुख्य आहार मछली, मेढक, रेंगने वाले जीव(सांप), चूहा, खरगोश, मृत पशु का सडा हुआ मांस है।

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