GA4-314340326 प्रसिद्ध हरिहर मेला 17 जनवरी को, चैतन्य महाप्रभु ने भी किया था क्षेत्र का भ्रमण

प्रसिद्ध हरिहर मेला 17 जनवरी को, चैतन्य महाप्रभु ने भी किया था क्षेत्र का भ्रमण

 silli(ranchi)  सिल्ली क्षेत्र का प्रसिद्ध हरिहर मेला  सिल्ली के कोचो स्वर्णरेखा नदी तट पर  आयोजित होता है। चैतन्य महाप्रभु ने भी किया था क्षेत्र का भ्रमण। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि 16 वीं सदी के दूसरे दशक मैं वैष्णव धर्म के जनक श्री श्री चैतन्य महाप्रभु वृदावन जाने के क्रम में झारखंड क्षेत्र में आए थे हुए यहां झाड़ी से भरा बड़े-बड़े वृक्षों के घने जंगलों का प्राकृतिक मनोहारी दृश्य देखकर भावविभोर हो गए यहां के प्रदेश को देखकर उन्होंने लगा कि यही तो वृदावन है यहां के पहाड़ों पर्वतों को देख कर प्रभु को लगा कि यही तो गोवर्धन है । मेला स्थल पर पदचिन्ह भी है ।इस यात्रा का वर्णन मूल बांग्ला भाषा के महाकाव्य चैतन्य चरितामृत में कविराज श्री कृष्ण दास गोस्वामी ने लिखी है। यह मेला प्रतिवर्ष 16 जनवरी आयोजित की जाती हैपरंतु इस बार तिथि में बदलाव की गई है यह मेल 17 जनवरी को आयोजित की जाएगी । इस क्षेत्र में बजरंगबली मंदिर राम मंदिर विष्णु मंदिर शिव मंदिर गणेश मंदिर काली मंदिर शनि मंदिर तथा संत बाबाओं के मंदिरों का निर्माण कराया गया है। इन मंदिरों में साधु संतों द्वारा ही पूजा संपन्न कराया जाता है। पूर्व में  टूसु मेला देखने के लिए दूर-दूर तक पैदल ही जाते थे लोग झुंड के झुंड आते जाते दिखाई देते थे । रास्ते में टुसू गीत  गीत गाकर खुशी पूर्वक थकान को एवं मेला की दूरी को कम करने की कोशिश करते थे। आज के जैसा उस समय आवागमन का साधन नहीं था। अब मेला परिसर पहुंचने के लिए साइकिल मोटरसाइकिल टेंपो मोटर गाड़ी से आने के लिए सिल्ली कोचों होते हुए कच्चा सड़क तथा बंगाल से भी गाड़ी का रास्ता है। पैदल आने वाले दर्शक अपने सुविधानुसार मेला स्थल पहुंचते हैं यहां तरह-तरह के सामानों की बिक्री भी होती है यहीं पर स्वर्ण का नदी में उच्च स्तरीय पुल का निर्माण किया गया है जो इस क्षेत्र के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है।  इस पल के निर्माण हो जाने से झारखंड बंगाल   में व्यापार मैं बढ़ोतरी हुई  है।

Post a Comment

please do not enter any spam link in the comment box.

أحدث أقدم