ओमप्रकाश सिंह/sonahatu(ranchi) सालों भर प्रखंड में जंगली हाथियो का उत्पात रहता है। जनवरी से अभी तक आधा दर्जन लोगों का मौत हाथी-मानव संघर्ष में हुआ है। 100 एकड़ से अधिक खेत मे लगा फसल नष्ट हुये है।किसानों का जमा पूंजी को हाथियों ने नष्ट किया है। लोकसभा चुनाव को लेकर गमागमी शुरू हो चुकी है। चौक चौराहों में समर्थक अपने प्रत्याशी के जीत की दावा कर रहे है। इसके बावजूद समर्थकों या प्रत्याशियों ने हाथी प्रभावित किसानों को कोई आश्वासन नहीं दिए है। हाथी से गांव और फसल को सुरक्षित कैसे करें। नुकसान को भरपूर मुआवजा कैसे मिले किसी ने चर्चा नही किया है। वर्तमान में हेसाडीह जंगल मे 18 से 20 की संख्या में हाथियों का झुंड डेरा डाले हुये है। रोजना रात को कुछ न कुछ नुकसान हो रहा है। किसान वेवश है। ग्रामीण आश्वस्त होना चाहते हैं कि हमें वोट के बदले हाथी से सुरक्षित रखें। हाथी मित्र तापस कर्मकार ओर मलखान महतो ने कहा कि हमारी टीम हाथी के गतिविधियों पर नजर रखती है। शाम होते ही हाथियों के रूट का पता होता है। हम उस रूट के गांव में सतर्क करते है। जिससे नुकसान ओर संघर्ष की सम्भावना कम होती है।
जंगली हाथियों का उत्पात नही बन पाया चुनावी मुद्दा
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