दोनों पक्ष के लोग मिलते गले |
23 जून से शुरू हुआ विवाद
ज्ञात हो कि 23 जून को बीसा में आयोजित जनजाति सुरक्षा मंच के कार्यक्रम में राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने कहा था कि लाल-सफेद झंडा तो तीन-चार दशक से प्रचलन में आया है। इसी बयान को लेकर विवाद हो गया था। इसको लेकर 24 जून को गेतलसूद में गणेश राम भगत व उमेश कुमार बड़ाईक का गेतलसूद में पुतला दहन किया गया। इसपर उमेश कुमार बड़ाईक ने अनगड़ा थाना में 26 जून को अजय उरांव, पाहन राजदेव पाहन, बीसा के पुशवा लोहार, अशोक बेदिया, विजय उरांव व बेंती निवासी अजय लोहार सहित अन्य अज्ञात पर सेंदरा किये जाने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए आवेदन दिया। इधर दो दिन पूर्व अजय उरांव ने भी धार्मिक भावना भड़काने का आरोप लगाते हुए अनगड़ा थाना में आवेदन दिया। दोनों पक्षों के बीच लगातार विवाद बढ़ता जा रहा था। थानेदार चमरा मिंज ने दोनों पक्ष के लोगों को 2 जुलाई को थाना बुलाया और आपस में समझौता करा दिया। इस मौके पर आजसू पार्टी के केन्द्रीय सचिव पारसनाथ उरांव, बीसा पंसस मानेश्वर मुण्डा, पूर्व मुखिया सुषमा देवी, अजय भोगता, ग्रामप्रधान जितेन्द्र उरांव, कपिल बड़ाईक सहित अन्य उपस्थित थे।
किसने क्या कहा:
अनगड़ा थाना प्रभारी चमरा मिंज ने बताया कि मिस कम्युनिकेशन के कारण दोनों पक्षों के बीच तनाव बन गया था। मामले में लगातार बगैर तथ्य के ही आरोप प्रत्यारोप हो रहा था। दोनों पक्षों की सहमति से आपसी समझौता करा दिया गया।
उमेश कुमार बड़ाईक ने कहा कि हमलोगों के बीच निजी दुश्मनी तो थी नही। गलतफहमी के कारण विवाद हो गया था। इस विवाद का निपटारा कर दिया गया है।
अजय उरांव ने बताया कि आपस में मिलकर हमलोग काफी खुश है। आपसी बातचीत के अभाव में विश्वास की खाई चौड़ी हो गई। हमलोग को मिलजुल आदिवासी समाज के विकास के लिए काम करना है।
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