GA4-314340326 कारगिल युद्ध: भारतीय सेना का ये पराक्रम इतिहास में दर्ज

कारगिल युद्ध: भारतीय सेना का ये पराक्रम इतिहास में दर्ज

 

तारकेश्वर महतो/ranchi/ कारगिल विजय के 25 साल शुक्रवार को पूरे हो रहे हैं। करगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान की एक पोस्ट को कुछ इस तरह तबाह किया था कि वह घटना इतिहास बन गई। भारतीय सेना की 326 लाइट रेजिमेंट ने पाकिस्तानी बंकरों को तबाह करने का ऐसा कारनामा किया था जो इतिहास में कभी नहीं हुआ था। सेना ने जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल से जमीन से जमीन पर हमला किया था। इस सटीक निशाने ने पाकिस्तान की एक पोस्ट उड़ा दी थी। उसी कहानी को बया कर रही रामगढ़ जिला के गोला निवासी पूर्व सैनिक की पत्नी एवं वर्तमान में शिक्षिका ममता कुमारी सिंह ने कहा कि एक कारगिल योद्धा और अब एक भूतपूर्व सैनिक चतुर्भुज कश्यप की पत्नी हूं ।मैंने बहुत करीब से देखा और महसूस किया जो कुछ कारगिल युद्ध में हुआ, क्योंकि तब मैं जम्मू के फैमिली क्वार्टर में रह रही थी ।कारगिल की बर्फीली चोटियों पर पर एक-एक मिलीग्राम ऑक्सीजन के लिए तरसते हुए कुछ जवानों ने अपने हाथों से बंदूके नहीं छोड़ी। मेरा दर्द तो हद से तब गुजरने लगा जब शहीद हुए जवानों के क्षप्त विक्षप्त औरअधजले शरीर के टुकड़े रेत की टीलों से भी ऊपर जाते पार्थिव शरीरों के ढेर नजरों के सामने होते थे। शोनित के बदले जो देश अश्रु बहता है, वह कभी स्वाधीन नहीं रहता है। हम स्वाधीन हैं क्योंकि 3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक कारगिल युद्ध की बर्फीली चोटियों पर इतना खून बहा की भारत माता का आंचल आज भी लाल है। तब मैं जम्मू यूनिवर्सिटी, जम्मू से बीएड की क्लास कर रही थी। सारे विद्यार्थी शहिद और घायल जवानों के लिए और उनके परिवार के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे थे। तब जम्मू के हर एक निवासी के दिल में बदले की आग जल रही थी। हर विद्यार्थी कॉलेज और यूनिवर्सिटी की पढ़ाई छोड़कर रोड और चौक चौराहा पर चंदा इकट्ठा करता और नारा लगाता हुआ मिलता था ,क्योंकि हर कोई बदला लेने के लिए आतुर था ।अब तो ऊपर जाता हुआ तिरंगा भी हमसे पूछ रहा है कि क्या बात है भारत आजकल मैं फहराने से ज्यादा दफनाने के काम क्यों आ रहा हूं। धरती के घोर कुआंसे को एक सूरज ही हर सकता है क्योंकि एटम बम से रक्षा एक एटम बम भी कर सकता है और वह है हमारी भारतीय सेना। 


Post a Comment

please do not enter any spam link in the comment box.

أحدث أقدم