GA4-314340326 धार्मिक आस्था का महापर्व है टुसू पर्व

धार्मिक आस्था का महापर्व है टुसू पर्व

तारकेश्वर महतो/ silli(ranchi) टुसू पर्व छोटानागपुर पठार के परब त्योहारों में एक महत्वपूर्ण एवं धार्मिक आस्था का महापर्व  है । सभी समुदायों के किसान, मजदूर, गरीब और मध्यम वर्ग के लोग अपने परिवार के लोगों के साथ टुसू परब मनाना ज्यादा पसंद करते हैं।इस परब की अपनी एक धार्मिक महिमा है, टुसू डिनी सेवा का परब है। यह त्योहार अगहन संक्रांति को टुसू थापना के साथ शुरू हो जाता है। यह त्योहार कृषि मुलक और गैर वैदिक त्योहार है। महिलाओं द्वारा महिना भर मंडलि और संध्या बाति देकर टुसू महिमा गीत गाती है।यह त्योहार धान की खेती से जुड़ा त्योहार है।करम आखड़ा मुरी के भगीरथ महतो बताते है कुड़मि समुदाय की जो बारह मासे तेरह परब  है उसमें टुसू सबसे बड़ा त्योहार है। टुसू परब में गायी जाने वाले गीत कुड़माली भाषा में ही ज्यादा है। टुसू पर्व के गीत में गांव वन जंगल नदी नाला पहाड़ पर्वत खेती बाड़ि और शादी ब्याह से संबंधित होता है।  लोग इसे टुसू के बलिदान के रुप में भी मनाते हैं। टुसू पर्व आपसी भाईचारा और मेल जोल का त्योहार है।यह त्योहार जाति पांति उंच निच छुआ छुत राग द्वेष को मिटाता है तथा प्रेम और भाईचारा लाता है। टुसू परब से पहले चाउर धआ गुंड़ी कुटा और बांउड़ि होता है।बांउड़ि के दिन पिठा बनता है पिठाओं में गुड़ पिठा,आगबा गुड़ेक पिठा, गरहउआ पिठा,उंधि पिठा,आलति पिठा,आरू पिठा,मसला पिठा आदि बनता है। मुढ़ी चिउड़ा और नारियल का लड्डू भी बनता है।इस दिन मुढ़ी चिउड़ा दही दुध और गुड़ खाने का भी चलन है। गरीब और असहाय लोगों को दान भी दिया जाता है।सभी समुदाय के घरों में इस पर्व में पीठा और मांस भात बनता है।पुस संक्रांति के दिन सुबह गीत गाकर गांव में टुसू को घुमाया जाता है। उसके बाद गाजे बाजे के साथ टुसू को मेला परिसर में ले जाकर नदी या किसी जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है।  और नाहन स्नान कर टुसू से अपने परिवार की मंगल कामना करके दान पुण्य कर गुड़ चिउड़ा दही और पिठा खाकर लोग घर वापस आते हैं।टुसु परब झारखंड, बंगाल के पुरुलिया ,बांकुड़ा, पश्चिम मेदिनीपुर, झाड़ग्राम उड़िसा के सुंदर गढ़, मयुरभंज और क्योंझर आदि जगहों में मुल रुप से मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह त्योहार असम में भी मनाया जाता है।प्रमुख मेलाओं में बांधा घाट मेला तुलीन, सतीघाट मेला बारेंदा सोनाहातु, मुरी टुंगरी मेला,हरिहर मेला कोंचो  सिल्ली ,चपद बानसिनि मेला, भेलुआ टुंगरी मेला लेंगहातु, सुईसा मेला, राम मेला तिरुलडीह ,जयदा मेला चांडिल, सूर्य मेला बुंडू, बानसिनि मेला कांसरा, पांच शहीद सत्य मेला झालदा,माठा मेला,गौतम धारा मेला, हुंडरू मेला,राजरप्पा मेला जैसे सैकड़ों मेला सुवर्णरेखा नदी दामोदर नदी कंसावती नदी और इसकी सहायक नदियां के किनारे लगते हैं सुवर्णरेखा नदी को यहां के लोग बड़ो (बड़अ)नदी की उपाधि देते हैं। टुसू मेला महीना भर चलता है घुर्ति सती घाट मेला के साथ ही टुसू मेला का समापन हो जाता है ।पहला माघ कुड़माली नववर्ष का दिन होता है।इसे लोग आखाईन जातरा कहते हैं।आखाईन जातरा के बाद पीठा लेकर लोग अपने बहिन बेटी घर गोतियारी जाते है।

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