GA4-314340326 दे‌वघर में डॉक्टरों ने नेत्र रोगों की पहचान और इलाज की नई तकनीक पर चर्चा की

दे‌वघर में डॉक्टरों ने नेत्र रोगों की पहचान और इलाज की नई तकनीक पर चर्चा की

  नेत्र रोग विषेषज्ञों के 22 वें वार्षिक सम्मेलन का दूसरा दिन

सम्मेलन में शामिल नेत्र रोग विशेषज्ञ।
Deoghar :  झारखंड ऑप्थोमोलॉजिकल सोसाइटी (Jharkhand Ophthalmological Society) और संताल परगना ऑप्थाल्मिक फोरम (Santal Pargana Ophthalmic Forum) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित नेत्र रोग विशेषज्ञों के 22 वें वार्षिक सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को मैहर गार्डेन में आंखों के इलाज की नई तकनीक पर देश के कोने-कोने से आए चिकित्सकों ने चर्चा की। दूसरे दिन के सम्मेलन में मुख्य अतिथि AIMS, Deoghar के डायरेक्टर डॉ. सौरव वार्ष्णेय, विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय नेत्र समिति के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ललित वर्मा, पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरवंश लाल एवं अध्यक्ष डॉ. पार्थ विश्वास थे। आयोजन समिति के मुख्य संयोजक डॉ. एनडी मिश्रा ने कहा कि सम्मेलन में राज्यभर के लगभग 100 नेत्र चिकित्सक भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का उद्देश्य नेत्र रोगों की पहचान, उपचार एवं सर्जरी की नई तकनीकों से रू-ब-रू होना है। 

लोगों को जागरूक करने के लिए 200 शिविर लगाए गए : डॉ. भारती

साइंटिफिक कमेटी की चेयरपर्सन डॉ. भारती कश्यप (Dr. Bharti Kasyap) ने सम्मेलन में झारखंड ऑप्थोमोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा सालभर में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किए गए साइंटिफिक पेपर्स एवं साइंटिफिक कमेटी के कार्य-कलापों का ब्योरा प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि सोसाइटी द्वारा पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए राज्य के चार शिक्षण संस्थानों में 100 के करीब प्रशिक्षण सत्र एवं वेटलैब के 50 के करीब सत्र रिम्स रांची, कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल रांची, बोकारो जनरल अस्पताल एवं सीसीएल, रांची में आयोजित किए गए हैं।  इसके अलावा सोसाइटी की ओर से झारखंड के उत्तरी छोटा नागपुर, दक्षिणी छोटा नागपुर, पलामू एवं कोल्हान क्षेत्र के दूर-दराज इलाकों में डायबिटिक रेटिनोपैथी, नेत्रदान, मोतियाबिंद एवं ग्लूकोमा के लिए 200 के ज्यादा जागरूकता शिविर लगाए गए। तकनीकी सत्र में डॉ. प्रोफेसर बीपी कश्यप औरं डॉ. संतोष होनावर ने छोटे बच्चों में होने वाले कैंसर रेटिनो ब्लास्टोमा पर व्याख्यान दिया। प्रो. लक्ष्मी नारायण, डॉ. पंकज कुमार ने झारखंड में नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस पर अपना व्याख्यान दिया। मोतियाबिंद सर्जरी के कई पहलुओं पर वाद-विवाद सेशन और अखिल भारतीय नेत्र सोसाइटी की तरफ से भी एक साइंटिफिक सेशन का आयोजन किया गया। प्रोफेसर वीएस गुप्ता कॉम्पिटिटिव फ्री पेपर सेशन में 22 पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों ने प्रेजेंटेशन दिया। इनमें से सर्वश्रेष्ठ पेपर को अखिल भारतीय नेत्र सोसाइटी की वार्षिक कांफ्रेंस में प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा।

सम्मेलन में ये डॉक्टर थे मौजूद

इस अवसर पर आयोजन समिति की संयोजक डॉ. एनसी गांधी, डॉ.  कुमार विजय, डॉ.  कुमार मधुप, डॉ. अभिषेक ओमकार, डॉ. मंजूषा झा, डॉ. एसके मित्रा, डॉ. रजनीकांत सिन्हा, नेत्र रोग  विशेषज्ञ डॉ. बीपी कश्यप,  डॉ. ललित वर्मा, डॉ. नम्रता शर्मा, डॉ. मनोज माथुर, डॉ. कृष्णा प्रसाद कुडलू, डॉ. चित्रा राममूर्ति, डॉ. रूपक कांति विश्वास, डॉ. जेएस भल्ला, डॉ. शिशिर अग्रवाल, डॉ. प्रफुल्ल महराना, डॉ. वीरेंद्र अग्रवाल, डॉ. मुकेश शर्मा, डॉ. देवाशीष दास, डॉ. अरविन्द कुमार मोर्या,  डॉ. मैत्रेयी दास, डॉ. विशाल अग्रवाल, डॉ. सुदीप्त घोष, डॉ. राहुल शुक्ला, डॉ. नीलेश कुमार, डॉ. देवेश कुमावत,  डॉ. जया अग्रवाल, डॉ. टीपी लहाने, डॉ. तानिया रे भद्रा ने झारखंड के नेत्र रोग विशेषज्ञों के साथ आंखों की पलक, कॉर्निया, लैंस से लेकर रेटिना तक के तरह-तरह के रोगों की पहचान एवं उपचार की नई विधियों को साझा किया।

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In Deoghar, doctors discussed new techniques for identification and treatment of eye diseases.


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