Deoghar : महाशिवरात्रि बुधवार रात भर बाबा बैद्यनाथ की चतुष्पहर पूजा हुई और गुरुवार अहले सुबह आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर का कपाट खोल दिया गया। चतुष्पहर पूजा के बाद बाबा बैद्यनाथ कामना लिंग पर जलार्पण के लिए भक्तों की भीड़ में पड़ी। चतुष्प्रहर के दौरान विग्रह पर माता को सिंदूर अर्पित करने की खास परंपरा का निर्वहन कर बाबा का विवाह संपन्न कराया गया। बिल्बपत्र से सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा ने विग्रह पर माता को सिंदूर अर्पित किया। उपचारक भक्ति नाथ फलाहारी की अगुवाई में आचार्य गुलाब पंडित और सरदार पंडा श्रीश्री गुलाबनंद ओझा को चतुष्प्रहर पूजा करवाई।
क्या है चतुष्प्रहर पूजा
चतुष्प्रहर पूजा को चार पहर की पूजा भी कहते हैं। इसमें बाबा को गंगा जल, गुलाब जल से स्नान कराने के बाद अलग-अलग मिट्टी के घड़े में रखे गये जल से स्नान कराया गया। इस दौरान बाबा को दूध, दही, शक्कर, शहद आदि अर्पित किया गया। सभी पूजन सामग्री अर्पित करने के बाद बाबा को पुन: मलमल के कपड़े से साफ कर धोती, चादर आदि अर्पित गया। इसके बाद चावल, डाभ, बेल, धतूरा, भष्म आदि चढ़ाने के बाद बाबा को माला पहनाकर दूल्हा बनाया गया। इसके बाद बाबा के विग्रह पर माता के नाम से साड़ी के अलावा श्रृंगार की अलग-अलग सामग्रियां अर्पित की गई। बाबा और उनके विग्रह पर इत्र छिड़का गया। इसके बाद बेलपत्र से सरदार पंडा विग्रह पर माता को सिंदूर अर्पित किया गया। इस तरह से पहले प्रहर की पूजा संपन्न हुई। बाकी तीन पप्रहर की पूजा में भी इसी तरीके से संपन्न हुई। चारों पहर की पूजा संपन्न होते-होते सुबह 3 बज गए। इसके बाद आम भक्तों के लिए बाबा बैद्यनाथ मंदिर का कपाट खोल दिया गया।
Mahashivratri: Chatushpahar Puja of Baba Baidyanath was performed throughout the night, crowd gathered for Jalaparna in the early morning, see pictures
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