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बुधू भगत की प्रतिमा पर माल्यार्पण के करने बाद शिल्पी व चमरा। |
Chanho (Ranchi) : शहीद वीर बुधू भगत की 233वीं जयंती सोमवार को उनकी जन्मस्थली सिलागाईं में मनाई गई। इस अवसर पर गांव में विकास मेला लगा। बतौर मुख्य अतिथि कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की और कल्याण मंत्री चमरा लिंडा कार्यक्रम में शामिल हुए। सिलागाईं पहुंचने पर दोनों मंत्रियों ने शहीद वीर बुधू भगत की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। उसके बाद विकास मेले में लगे स्टॉल्स का अवलोकन कर परिसंपत्तियों का वितरण किया। मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि आदिवासी समाज की पहचान वीर बुधू भगत से है। बुधू भगत ने अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध का नेतृत्व किया था। इसलिए, ऐसे धरोहर को बचा कर रखने की जरूरत हैं। आने वाले वर्षों में इस कार्यक्रम में हजारों नहीं, बल्कि लाखों की संख्या में लोगों की उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी, ताकि लोगों को वीर बुधू भगत के बारे में पता चल सके। उन्होंने कहा कि जनगणना में सरना कोड के लिए आरपार की लड़ाई लड़नी होगी, इसके लिए तैयार रहना होगा। आरएसएस वाले नहीं चाहते कि आदिवासियों को सरना कोड मिले। लेकिन, इस बार आर-पार की लड़ाई होगी। पूरे क्षेत्र में चक्का जाम कर जोरदार आंदोलन किया जाएगा। मय छऊवा, बच्चा, बूढ़ा सभी लोग सड़क पर उतरेंगे और जब तक मांग पूरी नहीं होगी डटे रहेंगे। आगे कहा कि समाज को आगे बढ़ाना है तो शिक्षित करना होगा। सभी अभिभावक हर हाल मे अपने बच्चों को पढ़ाए।सफलता के लिए पढ़ाई का कोई दूसरा विकल्प नहीं है।नशापान से दूर रहने की अपील करते हुए कहा कि इससे समाज पीछे जा रहा है। हमारे पूर्वज फुटकल और चकोड साग खाकर 100 साल जीते थे। आज हम नशापान के चंगुल में फंस कर बीमार हो रहे है। उन्होंने स्मारक समिति द्वारा दिए गए मांग पत्र की सभी मांगें पूरी करने की बात कहीं।
आदिवासी विकास का मानक तय करेंगे: शिल्पी
कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि यहां मौजूद सक्रिय भीड़ समाज के लिए सकारात्मक संदेश है। हमारे समाज के नेतृत्व करने वाले लोग समाज को किस ओर ले जा रहे है, उसको सुनने वाले लोग है, यह अच्छी बात है। वीर बुधू भगत का जन्म ही अन्याय और अत्याचार से लड़ने के लिए हुआ था, लेकिन आज भी हमारे समाज पर कई तरह से अत्याचार हो रहा है, इसके विरुद्ध हमलोग को खड़ा होना होगा। अगर, आपके साथ गलत होता है और आप नही बोलते है, तो आप अन्याय को बढ़ावा देते है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने सिलागाईं शहीद ग्राम में 2023 में 8 करोड़ की राशि से विकास योजनाओं को देने का काम किया था। आगे कहा कि आदिवासी समाज को विकास का मानक तय करना होगा। क्या सिर्फ रास्ता, नाली और बिल्डिंग विकास का मानक है या शिक्षित होना विकास का मापदंड। ये समाज को तय करना होगा। आज आदिवासियों के सामने पहचान की चुनौती हैं। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ही पेशा कानून लागू कर सकती थी, लेकिन पेशा कानून को धर्म का आधार दे दिया गया। पेशा कानून आदिवासियों के संरक्षण के लिए है। अगर, आदिवासी बचेंगे तब ही मूलवासी सुरक्षित रहेंगे। इधर, हमलोग एक-दूसरे पर बंदूक चलाने में लगे हैं। और, दूसरे राज्यों के लोग यहां नौकरी ले रहे हैं।
पेशा कानून लागू करे सरकार: डॉ. भगत
स्वागत भाषण में कमेटी के संरक्षक डॉ. परमेश्वर भगत ने कहा कि 1857 का सिपाही विद्रोह देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम नहीं था, बल्कि उससे पहले भी हमारे सेनानी देश के लिए कई बार विद्रोह कर चुके थे। बाबा कार्तिक उरांव ने हर घर में शिक्षा का दीप जलाने का संदेश दिया था। उन्होंने सरना कोड तथा पेशा कानून लागू करने की मांग की। कार्यक्रम को पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर और सन्नी टोप्पो ने भी संबोधित किया। मंच संचालक डॉ. रामकिशोर भगत और धन्यवाद ज्ञापन शिवपूजन भगत ने किया। मौके पर स्मारक समिति के अध्यक्ष शिवपूजन भगत, महासचिव गोपाल भगत, पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर, सन्नी टोप्पो, दिलीप सिंह, अल्फ्रेड मिंज, अजीत सिंह, भउवा उरांव, सुजीत शाही, मो. मोजीबुल्लाह, सुनील उरांव, हरिनंदन भगत, अनिता देवी, गुड़िया देवी, मोरहा उरांव, मंगलदेव उरांव, महादेव उरांव आदि मौजूद थे।
RSS people do not want tribals to get Sarna Code: Chamra Linda
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