भारतीय संविधान से पहले शरीयत को मानने वाले बयान के बाद बैकफुट पर आए मंत्री हफीजुल हसन
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मंत्री हफीजुल हसन |
Deoghar : भारतीय संविधान से पहले शरीयत को मानने वाले बयान के बाद राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन की खूब किरकिरी हुई थी। इस बयान के चार दिन बाद मंत्री बैकफुट पर आ गए और अब अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि उनके लिए भारतीय संविधान सर्वोपरि है। मंत्री ने कहा कि भारतीय संविधान में उनकी अटूट आस्था और निष्ठा है।मैं बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति गहरी श्रद्धा रखता हूं, जिनकी प्रेरणा से मैंने अपने सार्वजनिक जीवन में समावेशिता और सामाजिक न्याय के लिए कार्य किया है। धर्म, जाति, वर्ग, क्षेत्र से ऊपर उठकर मेरे द्वारा किए गए कार्य मेरी संवैधानिक निष्ठा की गवाही देते हैं। मैं दोहराना चाहता हूं कि संविधान मेरे लिए सर्वोपरि है, और मेरा कोई भी कथन या कार्य कभी इसके मूल्यों के खिलाफ नहीं रहा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यकों के अधिकार की रक्षा की गारंटी है हमारा संविधान। जहां संविधान देश के हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है वहीं वह सरकारों को ऐसा वातावरण बनाए रखने का निर्देश देता है जिसमें देश के सभी नागरिक अपने भाषाई एवं धार्मिक पहचान को अक्षुण्ण रख सकें।देश ने केंद्रीय मंत्रियों को अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति निंदनीय - नफरती शब्दों का प्रयोग करते हुए देखा है। किसी ने अल्पसंख्यकों को खुले आम देश छोड़ने को कहा तो किसी ने हमें मंच से गोली मारने का नारा लगवाया। मैं मानता हूं एवं दोहराता हूं कि हर किसी को अपने धर्म से असीमित प्रेम करने का अधिकार है लेकिन वह प्रेम दूसरे धर्म के प्रति नफरत का रूप नहीं लेनी चाहिए। मंत्री ने कहा कि मेरे बयान को जिस ढंग से भी परोसा जाए लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप करता रहूंगा और सभी समुदायों के लिए न्याय, समानता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा।
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Indian Constitution is supreme for me: Hafizul Hasan
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